________________ धम्मि-| ध्वंसी / श्व दाहो दवोनवः // 10 // इंदौ कैरविणी खौ कमलिनी धाराधरे बर्हिणी / हंसी त हिगमे महोदधिजले मत्सी मृगीव स्थले // श्रीदेवी जजते मुदं जलशये गौरी गिरीशे तथा / स्वबंदं रमते विचित्ररुचिकं चेतः कचित्कस्यचित् // 11 // एषा मामध्यधान्मातः / कोऽयं गति 521 नो युवा / अस्य दर्शनमात्रान्मे / सुधासिक्तमतचः // 12 // तथा कुरु यथा मंक्षु / मामेष प्र. तिपद्यते // नद्यहं व्रजतः प्राणा-नीशे धतु विनामुना // 13 // अथाहं दध्युषी कार्य-मेतद् थ जाय तेम ते युवान पुरुषने जोश्ने तेणीनो पुरुषप्रतेनो देष एकदम शांत थ गयो. // 10 // जेम चंडमां कैरविणी, सूर्यमां कमलिनी, वरसादमां मयूरी, वरसादना नाशमां हंसी, महासागरनां जलमां मानली, जमीनपर हरिणी, विष्णुमां लक्ष्मी तथा महादेवमां जेम पार्वती तेम विचित्र रु. चिवाबु को कोनुं चित्त को कोई वस्तुमा स्वबंदपणे रमे जे. // 11 // पनी तेणीए मने क. हां के हे माताजी! था युवान पुरुष कोण जाय ? पाने फक्त जोवाथीज मारुं शरीर अमृतथी सींचायाजेवू थयुं . // 15 // माटे हवे तुं एम कर? के जेथी मने ते जलदी अंगीकार करे. केमके तेनाविना हुँ मारा जता प्राणोने धारी शकुं तेम नथी. // 13 // हवे में विचार्य के प्रया Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.