________________ धम्मिः चक्षुश्विक्षेप लीलाजि-मैथरं परितः पुरे // 5 // रुरोचयिषवोऽमुष्यै / स्वमित्यदत्रसूनवः // युवानः / सार्थ | कृतश्रृंगाराः / समन्येयुरनेकशः // 6 // कथं ब्रमंत्यमी काम-पिशाचबलिता श्व // इति प्रत्युत्त. | रशेषा–नेषा तानकरोभृशं // 7 // सौरजोल्लसन्निद्र-पुष्पोत्तंसितमस्तकः // सर्वांगसंगिशृंगार ज्योतिर्योतितदिङ्मुखः // 7 // दिव्यांवराक्तसौरन्य-संवासितपुरोदरः / / श्रीपथे मन्मथो मूर्त / |श्व कोऽप्यचलावा // 5 // युग्मं // तदर्शनेन पुंदेषः / सहसास्याः शमं ययौ / घनांबुना जग॥ 5 // त्यां तेणीने पोतापते मोहित करवामाटे शाहुकारोना तथा दत्रिनना अनेक युवान पु. त्रो बनीठनीने श्राववा लाग्या. // 6 // कामरूपी पिशाचथी गांडा बनेलानीपेठे या जुवानीया यहीं शामाटे भटक्या करे ? एटलोज फक्त प्रत्युत्तर तेने ते वापती हती. // 7 // एवामां सुगंधथी जलसायमान अने प्रफुल्लित पुष्पोना मुकुटयुक्त मस्तकवाळो, सर्व शरीरपर रहेलां बाबू. षणोनी कांतिथी दिशानना मुखोने तेजस्वी करनारो // 7 // दिव्य वस्त्रोमां गंटेली सुगंधियी नगरना मध्यनजागने सुगंधी करनारो तथा मूर्तिवंत कामदेवसरखो कोश्क युवान ते राजमार्गेथी चालवा लाग्यो. // 7 // जगतने नाश करनारो दावानलनो अनि जेम वरसादना जलथी शांत P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust