________________ धाम्म- दिप्तदारव्रणाव / विशेषेण व्यषीदत // 1 // ये कुलीनाः कलावंतो / युवानः दात्रियोत्तमाः // एषा तेष्वपि नारज्यत् / दीणकुन्मोदकेष्विव // 2 // अन्यदाहं व्यमार्द किं / गुणज्ञेयं सुता मम | // नुश्चक्षुष्यानपि देष्टि / चंद्रांशूनिव पद्मिनी // 3 // अचिंतयं च चेदेषा / मुच्येतोपचतुष्पथं // त. ५१ए कंचिन्नरमालोक्य / स्यादस्या जातु निर्वृतिः॥३॥ अथ विज्ञप्य राजानं / विमान व त्रुमिगे || अस्थापयमहं धाग्नि / पृथुनि श्रीपथांतिके // 4 // तत्र वातायनस्थेयं / योषिन्मात्रपरिबदा / | रे सुःख पामती. // 1 // जेम दुधाविनाना माणसने लामा रुचि न थाय तेम कुलीन कलावा| न तथा युवान उत्तम दत्रिप्रते पण या कन्या रागवाळी थ नहि. // 2 // पनी एक दिवसे में विचार्य के कमलिनी जेम चंद्रना किरणोपते तेम मारी था गुणज्ञ पुत्री मनोहर पुरुषोपते | पण शामाटे देष करती हशे? // 3 // जो आने चहुटामां मुकवामां आवे तो कदाच ते कोश्क पुरुषने जोश्ने रागवाळी थाय. // 3 // पनी में राजाने विनंति करीने चहुटामां पृथ्वीपर रहेला | विमानसरखा एक विशाल मकानमा तेणीने राखी. // 4 // त्यां फक्त स्त्रीननाज परिवारवाळी ते राजपुत्री फरुखामां बेठीथकी लीलापूर्वक पोतानी चपल दृष्टि नगरमां चारे बाजु फेंकवा लागी. Jun Gun Aaradhak Trust PR.AC.Gunratnasuri M.S.