________________ धम्मिः श्चक्रवर्तीव नृपतिः // 7 // तस्येयं दुहिता नाम्ना / कमला कमलानना // मामस्या एव जानी / सार्थ | हि / धात्री तु विमलानियां // ए // प्राणेन्योऽपि प्रियामेना-मध्यापयदिलाप्रियः // कला ज. पकलाचार्य / सकला ललनोचिताः // एए // श्यमुद्भिन्नतारुण्या / पूर्वासीत कर्मदोषतः // घात. 510 केष्विव तातस्य / पुरुषेषु पराङ्मुखी // एए // श्रमी स्वकार्यरसिका / निःकृपाश्चलचेतसः // प. रार्थनेदका ये च / निनिदेयं नरानिति // 2400 // यदा कदाचिदद्रादी-देषा कंचिनरं पुरे / / पृथ्वीचक्रने धरनारो चक्रवर्तीसरखो अरिदमन नामे राजा जे. // // तेनी था कमलसरखां मु. खवाळी कमला नामनी पुत्री बे, अने मने तेनी विमला नामनी धाव जाणवी. // // पोता. ना प्राणोथी पण वहाली एवी या पुत्रीने राजाए कलाचार्यपासे स्त्रीने लायक सघनी कलान जणावी जे. // एए // ज्यारे था युवान थ त्यारे प्रथम कर्मोना दोषथी पोताना पिताना घात | ., .. कोनीपेठे पुरुषोते देषवाळी हती. // ए0 // या पुरुषो खार्थी, दयावगरना, चलचित्तवाळा अ. ने परकार्यने नांगनारा ने एम तेणी तेजनी निंदा करती हती. // 2400 // जे को वखते ते | नगरमां को पुरुषने जोती त्यारे खार चोपडेला गुममांथी जाणे पीमा होय नहि तेम ते वधा- / PP.AC.Gunratnasuri M.S. JUNGU Aarauak TTUSI