________________ धम्मि अथो रथं युतं तान्यां / ग्रामेशो ग्रामसीमतः // कलाक्रीत व प्रेष्यो / गत्वा ग्रामांतरानयत् / माई // // तस्मै सरमणीकाय / स सिक व चेटकः // स्थानस्नाननिवसना-शनादिकमपूरयत् / / // // स्वस्थानादधिकं मानं / दूरेऽपि लगते गुणी // यथा विदेशे न तथा / महर्यो मणिरंबुधौ // 70 // स ग्रामेशाग्रहात्तत्रैवातिचक्राम धामवान् // दिनापरार्ध तत्साई। ग्रामलोकैर्वि नोदतः // 1 // मनःप्रियप्रियाप्राप्ति-पश्चात्तापेन पूरिता // सर्वे न्यः प्रथमं सायं / सुष्वाप माप. पजी ते ठाकोर तेनी कलायी खरीदायेला चाकरनीपेठे त्यां जश्ने गामनी सीममांयी ते ब नोकरनीपेठे मकान, स्नान, वस्त्र तथा गोजनादिक पूरा पाड्यां. / / जय // गुणी माणस पोता. ना स्थानथी दूर देशमां गयोथको अधिक मान पामे , केमके अमूल्य मणिनी जेवी परदेश मां किमत थाय ने, तेवी तेनी समुद्रमा पमी रहेता थती नथी. // 50 // पनी ते पराक्रमी धम्भिले ते ठाकोरना आग्रहथी गामना लोकोसाथे विनोद करतांथकां त्यांज दिवसनो बाकीनो अरधो | नाग व्यतीत कर्यो. // ए१ // मनने प्रिय एवो प्रियतम न मलवाथी पश्चात्तापमां पडेली ते रा / P.P.AC. Sunratnasuri M.S.