________________ धाम्म-। व्याः कृतमिदं यया // न हि सा कार्यमारन्य / निर्वाहे विघटिष्यते // 45 // अथ नृतम कारा-मिव मुक्त्वा कृशोऽपि सः // पुष्टांग श्व फालेना-रोहत्तं लीलया रथं साय॥४६॥ ऋषिवेषः स निःशेष-सिऽर्थे तेन तत्यजे // यदा विदलिते व्याधा-वौषधं नोपयु 207| ज्यते // 4 // पूर्वारूढा रथे तेन / ददृशे कापि कन्यका // वस्त्रेणाथ सुश्लिष्टेन / गदिताशेषवि. | ग्रहा // 4 // स रथे सारथीय / शउस्तान्यामलदितः // रथ्यामालंब्य चंपाया / रथ्यावश्वाववा य, तेनेज हवे मारी चिंता , . मके ते कार्यनो प्रारंन करीने तेनो निर्वाह करवामाटे कई | पानी पानी नरशे नहि. // 45 // | हवे ते धम्मिल सुबळो उतां पण बलवाननीपेठे केदखानासरखा ते नृतना मठने गेडीने वेंक मारीने लीलामातथी ते स्थपर चमी बेठो. // 46 // पी एवी रीते सघg कार्य सिह थया. थी तेणे मुनिनो वेष पण गेडी दीपो, केमके रोग गयाबाद औषधनी कई जरुर रहेती नथी.॥ // 4 // हवे त्यां प्रथमथीज रथमां बेठेली तथा मजबूत वस्त्रथी ढांकेल ने सर्व शरीर जेणी एवी कोश्क कन्याने तेणे दीठी. // 4 // हवे तेन बन्नेमांथी कोइए नहि नळखेलो एवो ते P.P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust