________________ मिस्पृष्टशाखीव / जलवाहजलोदितः // 40 // निशि दिव्यगिरा यावत् / तुष्टस्तिष्टति धम्मिलः // तावत्कात्यायिनी कापि / तन्मठद्वारमाययौ // 41 // अत्र किं धम्मिलोऽस्तीति / तया पृष्टे कृशध्वनिः॥ धम्मिलोऽत्राहमस्मीति / प्रत्युत्तरयतिस्म तां // 42 // एह्येहि रथमारोह / चल चंपां पुरींप्रः ति / तयेत्युक्ते क्षणं चित्तो-दधौ स तिमितां दधौ // 3 // केयं वेत्ति कथं नाम / ममाह्वयति किं च मां // यं निशाचरी माजू-वहालं चिंतयानया // 4 // तस्या एवाधुना चिंता। दे. दना जलथी सींचायेला दवदग्ध वृदनीपेठे // 40 // ते दिव्य वाणीथी खुश थश्ने रात्री जे. वामां ते बेठो बे, एवामां कोश्क तापसी ते मठना द्वारपासे यावी. // 41 // अहीं शं धम्मिल बे? एम तेणीए धीमे अवाजे पूज्वाथी तेणे तेणीने प्रत्युत्तर याप्यो के थाह धम्मिल शाही बेठो बं. // 42 // त्यारे चाल चाल? रथपर चड? बने चंपा नगरीप्रते चाल? एम तेणीप क. | हेवाथी धम्मिल क्षणवार तो पोताना चित्तरूपी समुद्रमा मत्स्यजेवो थर गयो. // 43 // ( तथा विचारवा लाग्यो के ) या तापसी कोण हशे? मारुं नाम केम जाणती हशे? मने केम बोला| वे ? या राक्षसी तो नहि होय! अथवा या चिंताथी सर्यु. // 44 // केमके जे देवीए आक P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust