________________ धाम्म | उकर्त्तननिःकृपं // चंमिकेवासिमुभीर्य / विनीतं प्रत्यधावत // 7 // सोऽपि प्रस्ताववित्तस्याः / प्र पेदे शरणं पदौ // कृपाणं सह कोपेन / संवृत्याथ जगाद सा // जय // मुमुर्पुरसि रे मूर्ख / यः न्मामीशकर्मणि // अप्रेरयः पयःपूर / श्व तृण्यामधोऽध्वनि // 50 // श्रितो मनोविनोदाय / मया त्वं पाप्मनेऽनवः // जवनज्वालनायेव / दीपो दीप्तिकृते कृतः // 1 // शीलं स्त्रिया ययात्यानाज घोमाथी धाम पडे . // 7 // परी ते कोटवालनो कंठ कापवामां निर्दय एवी तेज त. लवार नगामीने चंमीनीपेठे विनीतप्रते दोडी. // 7 // त्यारे समय जाणनारो ते विनीत पण तेणीनाज चरणोने शरणे गयो, त्यारे धनश्री पण कोपनी साथे तलवारने पण म्यानमां नाखी. ने बोलली के, // जय // अरे मूर्ख! शुं तने मखानी.श्बा थने ? के जलनु पूर होडीने जेम नीचे मार्गे ले जाय , तेम ते मने थावां कार्यमाटे प्रेरणा करी! // 50 // में फक्त मनना विनोदमाटे तारो धाश्रय को हतो, अने तुं तो पापी नीवड्यो, धने या तो अजवाळांमाटे क रेलो दीवो जेम जलटो घरने बाळे तेनाजेवू थयु. // 1 // जे स्त्रीए पोतांना अनुपम यादृष. | समान शील तजेबु , ते माठी अने पडररूप सुवर्ण तथा मणिनो जार शामाटे धारण क. Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.