________________ पए धम्मि- बिनोः किमारदा-त्वं नेको जुजगादिव // 73 // एवमेवेति तेनोक्ते / सुधाक्तं सामुचदचः // सार्थ मिलितव्यं त्वया नातः-परं तस्य गुणाकर // 14 // ततोऽतीत्य दिनान स त्रि-चतुरांश्चतुराश | यः // पुनर्विषादविवाय-मुखोऽवादि धनश्रिया // 35 // जानामि कामिना तेन / मत्कृते य| सेतरां // ततोऽशोकवनीमेतु / सोऽद्य सोद्यममानसः / / 76 // त्वं च पव्यंकमासूत्र्य / ततो मैरे. यमानयेः // श्रुत्वेति दध्यिवानेष / धिग्योषिज्जनचापलं / / 99 // न स्यानारीषु सौगीव्यं / स्यादा | एवी अवस्थावान तेने जोश्ने धनश्री बोली के अरे! सर्पथी जेम देडकुं तेम शं तुं कोटवालथी | डरे ? // 3 // एमज , एम तेणे कह्याथी ते अमृतसर वचन बोली के, हे गुणाकर! आज पनी तारे तेने मलq नहि. // 14 // पनी त्रण चार दिवसो गयाबाद ते चतुर पाशयवालो वि. नीत फरीने ज्यारे पागे शोकथी विलखा मुखवाळो थश्ने बेठो त्यारे धनश्रीए तेने कहां के, // // 75 // हं धारु बु के ते कामी कोटवाळ मारेमाटे तने कष्ट आपे , माटे बाजे ते कोटवाळ नले तैयार थाने अशोकवाटिकामां आवे / / 76 // अने तारे त्यां पलंग बिगवीने दारु लाव वो, ते सांगलीने तेणे विचार्य के धिक्कार ने स्त्रीनी चपलताने. / / 39 // स्त्रीनमां सुशीलपणुं हो.. . P.P. Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust