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________________ सार्थ धाम्म- दध्यो चास्या मुखौपम्य-मिंजुनापि कदापि न // यतो याते ममोन्मेष-मदरं चकुरबुजे // 6 // | अहो नेत्रे श्रियः पात्रे / अहो पद्मसखं मुखं // अहो स्तनौ पीनघनौ / अहो शोलायुजौ जौ | / / 61 // तांबूलो मूर्ध्नि मे लमो / रंगश्च ववृधे हृदि / तदिदं नोजिते चैत्रे / मैत्रस्योदरपूरणं // Uए | // 6 // तस्य तां पश्यतो मोहं / कृत्वाथ स्मरदांभिकः // वसत्यपि पुरे यत्नं / धृतिरत्नमचूचुरत् // 63 // नविता संगमोऽस्या मे / श्यामेतररुचः कथं // विमृशन्निति सोऽपश्य–दिनीतं तं तदं ब्रांति पापनारुं तेणीनुं मुख जोयु. / / एए // त्यारे तेणे विचार्य के आना मुखनी नपमा कोश पण दिवसे चंद्रने पण थापी शकाय तेम नथी, केमके याने जोवाथी मारां चकुरूपी कमल क. इंपण अटकावविना उलटां विकसीत थयां बे. // 60 // अहो! आ स्त्रीनां चकुन लक्ष्मीना पा. त्ररूप ने, मुख कमलसर , स्तनो पुष्ट आने कठण ने, तथा हाथो शोनावाला ने. // 61 // तांबलनो रस तो मारा मस्तकपर लाग्यो, परंतु रंग तो मारा हृदयमा वृद्धि पाम्यो, माटे या तो चैत्रे भोजन कर्याथी मैत्रनुं उदर नरवाजेवू थयु ! // 6 // हवे मोहथी तेणीने जोतांथकां का. | मदेवरूपी कपटी चोरे नगरनी भरचक वस्तीवच्चे पण तेनुं धैर्यरूपी रत्न चोरी लीधुं. // 63 // . PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036432
Book TitleDhamil Charitra Bhashantar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1914
Total Pages205
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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