________________ धम्मि- ब्पदिनः सोऽनृत् / तस्या विश्वासानाजनं // हृदयायैव सा तस्मै / रहस्यमपि नाहुत // 25 // वे. | मा मनः सप्तभौमस्यो–परि वातायनस्थिता // सा किंचिच्चर्वितरसं / तांबूलं मुमुचेऽन्यदा // 56 // | तांबूलः काकतालीय-न्यायेनाधः पपात सः॥ व्रजतः पथि दुर्वार-स्तलारदस्य मूनि // 27 // | धौतधूपितवस्त्रोऽसौ / नव्यदिव्यांगरागभृत् // पुष्पापूरितधम्मिलो। विवाहार्थमिवोद्यतः // 17 // | किमियं विझविहंगस्ये-त्यूचं पश्यन्निरैदत // पाथोदपथपाथोज-ब्रांतिदायि तदाननं // 5 // // 55 // एवी रीते थोडा दिवसोमांज ते तेणीनो विश्वासपात्र थ पड्यो, अने तेथी पोताना हृदयनीपेठे तेणी तेनाथी गुप्त वात पण बुपावती नहि. // 55 // एक दिवसे घरनी सातमीनों ए फरुखामां बेग्ली एवी ते धनश्रीए थोमांक चावेलां तांबूलनो रस थुक्यो. // 56 // हवे न अटकावी शकाय एवो ते तांबूलनो रस काकतालीय न्यायथी नीचे मार्गमां चालता कोटवाना मस्तकपर पड्यो. // 7 // ते वखते ते जाणे परणवामाटे जतो होय नहि तेम धोएलां ने धू. पेलां वस्त्रोवाळो, नवां श्रने दिव्य अंगविलेपनवाळो तथा पुष्पोथी गुंथेला केशोवाळो हतो. // | // 27 // शुं था को पदीनी विट पमी? एम विचारी चंचु जोतांथकां तेणे आकाशकमलनी। PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust