________________ धाम्म- त्रमंडलं // 1 // नूनं दृष्टव्यलीकासु / न रज्ये रमणीष्वहं / बलादप्यबलासंगं / कर्तारो माममी - पुनः // 13 // व्याजेनाजनि यद्येवं / मां विवाहयिता पिता / / तन्मे गृहमपि त्यक्त्वा / गंतव्यं कसाथ चिदन्यतः // 14 // ध्यात्वेति काननक्रीमा-व्याकुले सुहृदां कुले / समुद्रोऽनश्यदन्याऽन्य-वृ. 4 दवीक्षणदंनतः // 15 // पायांतः पृष्टतोऽप्येततसुहृदः स्नेहसुंदराः // अनीदय तमजायंत / वी. दापन्नाः दाणादपि // 16 // वयस्यैर्वोदितोऽप्येष / नाधिजग्मे यदा तदा // पुरो धनस्य पूचके / ला वनमां क्रीमा करवा गयु. // 15 // त्यां समुद्रदत्ते विचार्य के दीवला ने दोषो जेणीना एवी स्त्रीनमा हुँ खरेखर राग धरतो नथी, थने या मित्रो मने बलात्कारे पण स्त्रीनो संग करावशे. // 13 // ज्यारे मारा पिताए वहानुं कहाडीने थावी रीते. मने परणाव्यो , त्यारे मारे हवे घर पण गेमीने क्यांक अन्य स्थले जq. // 14 // एम विचारीने मित्रोनो समुह ज्यारे वनक्रीमा करवामां रोकायो हतो, त्यारे ते समुद्रदत्त बीजां बीजां दो जोवाना मिषयी त्यांथी नाशी गयो. // 15 // परी तेना स्नेही मित्रो जो के तेनी पाछळ याव्या, परंतु तेने न जोवाथी दाणवारमा तेने वालखा पडी गया. // 16 // पनी ते ए शोध कर्या बतां पण ज्यारे ते न मब्यो त्यारे चो. P.P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust