________________ धम्मिः // 7 // सवधूकः स वासौकः / सवयीजिरनीयत // बलेनागस्करः कारागारमारदकैखि // 7 // साथै | योगीव जाग्रदेवासौ / वासौकसि निशि स्थितः // विषलिप्तामिव वधूं / नास्पृशत्पाणिनापि.. तां // // ए // निद्रामुदितनेत्राब्जां। जनी नीरजिनीमिव // मुक्त्वा निशीथे शेतेस्म / मित्रमध्यमुपेत्य सः // 10 // अपश्यंती प्रियं तल्पे / प्रचाते धननंदिनी // दिनेशेऽप्युदिते शोक-तमसा जग्रसेडद्भुतं // 11 // अवलोक्य च खे खेलत् / प्रजाते मित्रमंडलं // ययौ वनं वियन्नीलं / रंतुं तन्मिनहि. // 7 // पजी पोलीस बलात्कारे गुन्हेगारने जेम केदखानामां तेम मित्रो तेने वहसहित वासभुवनमां ले गया. // 7 // त्यां वासलुवनमां ते योगीनीपेठे रात्रिए जागतोज रह्यो. परंत जाणे फेरथी लीपायेली होय नहि तेम तेणे ते धनश्रीने हाथथी पण स्पर्श कर्यो नहि // // पजी कमलिनीनीपेठे निद्राथी वींचायेली आंखोवाळी ते धनश्रीने गेमीने मध्यरात्रिए ते पोता. ना मित्रोपासे आवीने सृश् रह्यो. // 10 // पडी प्रनाते बिछानामां पोताना स्वामीने नहि जोती एवी ते धनश्री आश्चर्य बे के सूर्योदय थया बतां पण शोकरूपी अंधकारथी व्याप्त थर. // 11 // पनी प्रनाते सूर्यमंडलने आकाशमां क्रीडा करतुं जोश्ने ते मित्रमंमल पण आकाशसरखा ली. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust