________________ धाम्म- तदानुवीत स्थेमान-मालानस्थेव हस्तिनी // ए३ // अनीकिनीव कामस्य / कनीयं यत्त्वया धन // धनश्रीम तनूजेन / समुद्रेण विवाह्यतां // 4 // शब्योछारमिवामस्त / मुदितस्तदवो धनः // सा | की नानुमन्यते योगं / माणिक्यस्वर्णमुज्योः // 45 // सागरोऽभिदधे तर्हि / मया गृहगतेन सः 475 // किंचित्कार्यमिषं कृत्वा / समित्रोऽत्र पहिष्यते // 6 // यातिथ्यदंनादाकार्य / विवाह्यः स रह| स्त्वया // यत्सोऽस्ति कातरः शस्त्री–ष्विव स्त्रीषु पराङ्मुखः // 9 // ति आपणा संतानोना संबंधरूपी बंधनवाळी थाय, तो स्तंन्नमां बांधेली हाथणीनीपेठे ते स्थिर थाय. // 73 / / माटे कामदेवनी सेनासरखी तारी धनश्री नामनी पुत्रीने मारा समुद्रदत्त नामना पुतनी साथे परणाव ? // ए४ // त्यारे जाणे पोतानुं शल्य निकळी गयुं होय नहि तेम खुशी थश्ने धनश्रेष्टीए तेनुं वचन स्वीकार्य, केमके माणिक्य अने खणेनी वींटीनो संयोग कोण सारो माने नहि? // 5 // पनी सागरदत्त बोल्यो के त्यारे हवे हुं घेर जश्ने कक कार्यना मिषयी हं ते मारा पुत्रने यहीं तेना मित्रो सहित मोकलीश. // 6 // परोणागतना मिषथी तारे तेने बोलावीने गुप्त रीते परणावी देवो, केमके ते शस्त्रोथी जेम तेम स्त्रीनथी कायर थयेलो. // 7 // P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust