________________ धम्मि- लिंगिनानेन / सममब्रह्म सेविनी // अंबां ददर्श बब्बूल-फुमलगां लतामिव // 6 // // व्यावृत्तोऽथ क्षणं वज्रा-हतवज्जातवेदनः // शिलयेव हियाक्रांतो। विवेकी विममर्श सः // 50 // अहो नी चरता नार्यो / मदिकासख्यमियति // चंदनद्रवमुत्सृज्य / श्लेष्मणे स्पृहयंति याः // 31 // गुण४० ग्रामनवे विश्व-व्यापके सद्यशःपटे / नत्पादयति मालिन्यं / नृणां शशिमुखी मषी॥७॥ तुं. गं स्थिरं विशालं च / कुलं सयति दणात् // महिला मुक्तमर्यादा / वार्डिवेलेव पर्वतं / / 73 // तापसना) मठमा दाखल थयो. // 67 // त्यां तेणे बावळना वृदने वळगेली वेलमीनीपेठे ते तापससाथे मैथुन सेवती एवी पोतानी मातांने जो. // 6 // // त्यारे ते त्यांथी पागे वळीने जा. पो.वज्रथी हणायो होय नहि तेम दुःखित थयोथको जाणे शिलाथी तेम लगायी दवाने ते विवेकी विचारखा लाग्यो के, // 70 // अहो! नीचमां शासक्त थयेली स्त्रीन मदिकाननू तुल्यप धारण करे , केमके तेन चंदनरस तजीने श्लेष्मने श्वे . // 11 // चंद्रसरखा मुखवाळी खी मषीनीपेठे पुरुषोना गुणोना ( दोराना) समुहथी उत्पन्न थयेला तथा जगतमां प्रसरेला उत्तम यशरूपी कपडामा मलीनता उत्पन्न करे . // 72 / / समुद्रनी वेळा जेम पर्वतने तेम स्त्री P.P.AC..Gunratnasuri M.S. Gunazadihak Trust