________________ . सार्थ धम्मि- चंद्रश्रीरित्यभृत्तस्य / रूपरत्नखनिः प्रिया / यद्देहदुर्गमालंब्य / कामो विश्वं जिगीषति // 64 / / तत्कुदिकंदरकोड-केसरी वरविक्रमः // समुद्रचंद्र श्त्याख्यां / दधानस्तनयोऽजनि // 65 // मते भागवते बघा-नुरागः सागरः सदा // नपस्वभवनं कंचित् / परिवाजमतिष्टपत् // 66 // पनि ४६ए तरशालासु / श्येन्मेष स्वधर्मतः // इति तेन परिवाजा / श्रेष्टी पुत्रमपीपठत् // 67 // पठन् कदा. | प्यसौ प्रातः / प्रातराशविधित्सया // प्राविशत्पट्टिकां मोक्तुं / मठस्यांतः शरेतरः // 6 // स तत्र गरदत्त नामे शेठ वसतो हतो. // 63 // तेने रूपरूपी रत्ननी खाण सरखी चंदश्री नामे स्त्री ह. ती, के जेणीना शरीररूपी किल्लानो अाधार लेश्ने कामदेव जगतने जीतवानी श्वा राखतो ह. तो. // 64 // तेणीनी कुदिरूपी गुफाना मध्य नागमां केसरीसिंहसरखो महापराक्रमी समुषचंद्र नामे पुत्र थयो. // 65 // नागवत मतना अनुरागी एवा ते सागरदत्त शेठे पोताना घरपासे कोश्क तापसने राख्यो हतो. // 66 // बीजी निशाोमां भगवाथी या पोताना धर्मथी भ्रष्ट न थाय तो वीक एम विचारीने शेठ ते तापसपासे पोताना पुत्रने जणाववा लाग्यो. // 67 // एक दि. वसे ते चालाक समुऽचंद्र प्रनातमां नणतोयको शीराववानी श्बाथी पोतानी पाटी मुकवाने ते P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust