________________ . धम्मि- वि // 23 // किमेतदिति स स्वस्थः / पृछन् शधिया तया // जयेनायं च्युतः ख / न्युदि. त्वा परीप्सितः // 24 // प्राप्तोक्ताविव तहाचि / स विधेनं दधत्ततः // निनाय नायकायुक्तः / सु. खं तत्र विनावरी // 25 // देवप्रतिमया क-खनमूर्तिरसावपि // तत्र तस्थौ बृहद्धांड-निगूढ . 460 | व मूषकः // 26 // प्रगे स्वसमगे तस्मिन् / निशावृत्तेऽमुनोदिते // विवेकचकुवैराग्यां-जनेनो गइ. / / // अरे नीच स्त्रीना संगथी हुं मारा स्वामीने पण मारवाने तैयार थइ! एवा पोताना पुष्कार्यना दुःखथी जाणे खेदित थ होय नहि तेम ते तलवार पृथ्वीपर लोटवा लागी. // 3 // अरे! या शुं थयु ? एम ते सुनटे पूज्वाथी ते बुच्चीए नयने लीधे या ख मारा हाथमांथी प. मी गयु, एम कहीने वात नडावी दीधी. // 24 // त्यारे सर्वाना वचननीपेठे तेणीना वचनमां विश्वास राखीने ते सुनटे त्यां सुखे ते स्त्रीसहित रात्री व्यतीत करी. // 25 // या मारो हशियार नाइ पण मोटा घडामां बुपायेला नंदरनीपेठे ते वखते त्यां देवप्रतिमानी पाउळ पाइने बेशी रह्यो. // 26 / / पजी प्रनाते ते सुजट पोताने घेर गयावाद रात्रिनुं सघडं वृत्तांत अमारा था नाए अमोने कहेवाथी वैराग्यरूपी अंजनथी अमारां विवेकरूपी चकुन खुल्ली गयां. // 27 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S.