________________ धम्मि- स्तोरणावंडो-दयाश्चित्रकचर्मनिः॥५॥ दात्रवंश्योऽर्जुनस्तत्र / स्तेनसेनाधिपोऽजनि // यस्तेने | सार्थ | सह शार्दूलै-बक रैखि बर्करं // 6 // चलत्वं कपिन्निः क्रौर्य / व्यालैः काविन्यमस्मन्निः // शै. | लाधिपस्य शैलस्थैर्यस्य दंम्पदे ददे // 7 // न स कश्चन नृपोऽभू-नस मंत्री न वा नटः 12 // एतं सौदामिनीदाम-धामधाम जिगाय यः // // नपपल्ख्यन्यदा कोऽपि / सप्रियः संचरन् नटः // रथस्थो रुरुधे तेन / सेतुनेव पयःप्लवः // // शिविरस्थान स्थी तस्य / शवरानवधूय सः राना चामडांना चंद्रवा . // 5 // त्यां दत्रीवंशमां नत्पन्न भयेलो अर्जुन नामे चोरोनो से| नापति रहेतो हतो, के जे सिंहोने पण बकरासमान जाणीने तेजनी साथे लडतो हतो. // 6 // पर्वतना स्वामी एवा ते अर्जुनने पर्वतमा रहेता वांदराए पोतार्नु चपलपणुं दंमतरीके पाप्यं 6. तुं, सोए पोतानी क्रूरता पापी हती, तथा पबरोए पोतानी कठोरता यापी हती. // 7 // ए. वो कोई पण राजा मंत्री के सुजट नहोतो के जे वीजळीनी श्रेणिना तेजसरखा तेजवाळा एवा ते अर्जुनने जीती शके. // 1 // एक दिवसे ते पल्लीपासेथी स्त्रीसहित रथमां बेशीने कोक | सुनट जतो हतो, एवामां बंध जेम जलना प्रवाहने तेम ते अर्जुने तेने रोक्यो. // 7 // तेनी P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust