________________ 451 धाम्मः। दृष्टः सर्वान्नसिष्ये / / 71 // शृणु नः कारणं बोधे / विंध्यनामास्ति धरः // यत्र दिपाश्चलाइंड शैललीलायितं दधुः // 72 // प्रवालीकृतगुंजानां / गजमुक्तास्रगतरा // पुलिंडीणां प्रिया पल्ली। तत्रास्त्यमृतसुंदरा // 3 // स्नेहो वसाशनं मांसं / वासः कृत्तिगुहा गृहाः / / कृत्यं हिंसा कला चौ. | ये / प्रायशो यन्निवासिनां // // यदोकस्सु दिपरदैः / स्थूणाः कुड्यानि कीकसैः // गोकर्णे संस्थानवाळा शरीरमां एक पण अंग सीधुं होतुं नयी. // 70 // माटे त्यां कोस्ने कोइ पण का. रणथी वैराग्य थाय ने, केमके सधली जातना अनाजना पाकमाटे कई एकज समय होतो नथी. // 1 // हवे तुं अमोने बोध थवानुं कारण सांगल ? विंध्याचल नामे एक पर्वत , के ज्यां हाथीन नाना जंगम पर्वतोनी शोनाने धारण करता हता. // 2 // हाथीनना मोतीननी मा लानी अंदर प्रवालारूप करेल ने चणोठीन जेणे एवी जिलमीनने वहाली तथा देवलोकजेवी मंदर एक पल्ली . // 3 // ते पल्लीमा रहेनारा भिल्लोने पायें करीने चरबीनी चीकाशवाळू मांसनं नोजन, चर्मरूपी कपडां, गुफा रूपी घर, हिंसारूप कार्य तथा चोरीरूप कला ने. // GUn जेजना घरोमां हाथीदांतोना थंजान, हाडकांनी नीतो, गायोना कानोनां तोरणो तयारी P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust Traina