________________ 267 धम्मि- // 30 // गुरुमुझरमुद्गीर्य / योगिनं निजगाद सः // बलेन कस्य मद् छमौ / मंत्रं सानोषि रे वद. // 31 // नविता मामनाराध्य / मंत्रसिदिः कथं तव // पर मौ विशन् श्वेव / लप्स्यसे प्रत्युतापदं // 3 / / यावत्तवचनैत्रास-करैः शुन्यति योगिराद् // कृपाणं नर्तयन् पाणौ / तावदूचे नृपात्मजः // 33 // अहो मम बलादेष / मंत्रं सानोत्यहं पुनः॥ न शुन्ये वह्निवदंश-त्राद कारैर्वचनस्तव // 34 // यदि त्वं सांयुगीनोऽसि / तद्वौकख मया युधे // योगी निदानरस्तस्य / तुदने किं | ते गुणवर्मा कुमारशिवाय ते सघला उत्तरसाधको त्रास पाम्या // 30 / / पनी ते वेताल एक मो. ट्रं मुझर नगामीने योगीने कहेवा लाग्यो के, अरे! बोल के मारी ऋमिमां कोना बलया तुं मं. त्र साधे ? // 31 // वळी मने बाराध्याविना तारी मंत्रसिधि केम थशे ? परनी ऋमिमां दाखल थवाथी नलटो कुतरानीपेठे तुं आपदा पामीश. // 3 // पनी जेवामां त्रास करनारां तेनां ते व. चनोथी ते योगीराज त्रास पामे , तेवामां हायमां तलवार नचावतोयको ते गुणवर्मा कुमार बोल्यो के. // 33 // अरे प्रेत! या योगीराज मारा बलथी मंत्र साधे , अने हुँ तारा वांसना त. | डाकासरखां वचनोथी अमिनीपेठे दोज पामुं तेम नथी. // 34 // वळी जो तारी लडवानी जा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust