________________ धम्मि- अमी श्राफ व विजाः // नृपा समुदीताः सर्वेऽप्यत्र वल्लाभकाम्यया // 42 // अमुमेतेषु निःमा शेष-हेषिशाखिदवानलं // मालवेशं महीपालं / महाशालं निजालय // 43 // तपनातपती बेण / यत्प्रतापेन पीमिताः // वसंति सततं शीत-बाये वैरिनृपा वने // 4 // श्वन समाये बंधुरस्कंधे / सत्पत्रे सुमनःप्रिये // बालेऽमुष्मिन् महाशले / वल्लीवलीयसे न किं // 45 // | यथेष मालवेशस्त-धुरि राज्ञां कथं स्थितः // उपहासपरामेवं / कन्यां प्रोवाच सा पुनः // 46 // अहाँ तने मेळववानी बायी एकठा थया ने // 42 // या सर्व राजा-मां सर्व शत्रुनरूपी वृ. दोने बाळवामां देवानल सरखा माव्वाना महाशाल राजाने तुं जो? // 43 // सूर्यना तापसरखा जेना तीव्र प्रतापथी खेद पामेला वैरी राजान हमेशां शीतल गयावाळां वनमां जश् रहेला ने. // 4 // उत्तम याकारवाला (गयावाला), मनोहर खजावाला ( स्कंधवाला), संतोनुं रक्षण करनारा (सारां पत्रोवाला) विद्वानोने प्रिय (पुष्पोवडे प्रिय लागता) एवा या महा. दासरखा महाशाल राजापते तुं वल्लीनीपेठे शामाटे वीटाती नयी ? // 45 // जो था ' मालवे| श' एटले लेशमात्र लक्ष्मीनो स्वामी ने तो पनी राजानमा ते अगामी थइने शामाटे बेठो ने ? PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust