________________ धम्मि- // 4 // पाः किमेषां निमेषार्धात् / परावर्त्तव लक्ष्यते / / यहा तत्तादृशस्नेह-पात्रं किं परिवर्त्तते // 43 // मन्ये मम वियोगेन / दशां प्राप्तेयमीदृशीं // यद्दा मयि तटस्थे किं / स्यादस्या विरह व्यथा // 44 // स्यान्चेन्मां वीदय सोल्लासा / तदासौ मदियोगिनी // आकारगोपनं कुर्या-द्यदि त३३५ बंधकी ध्रुवं / / 45 // ध्यावेति सहसा तस्याः / पुरः प्रादुर्वस्व सः // क्षुनितेव दाणात्सापि / च. | स्तारवा लागी. // 41 // वळी ते विलखी थश्ने अश्रुजलवाळी दृष्टिने दिशातरफ फेंकवा ला. गी, एवी रीतनुं तेणीनुं सादात चरित्र जोश्ने गुणवर्माए विचार्यु के, // 42 // अरे! शं या अ. रधा दाणमांज बदलाएली जेवी देखाय ! अथवा शुं तेवा स्नेहवाळी वळी बदला जाय खरी? // 43 // हं धारुं बु के मारा वियोगने लीधे ते प्रावी दशा पामी , अथवा हुँ नजीक होवा ब. तां तेणीने विरहनी वेदना शामाटे थाय ? i4 // हवे मने जोश्ने जो ते नल्लासवाळी थाय तो तेणीने मारा वियोगथी थातुर जाणवी, परंतु जो ते पोतानो थाकार गोपवे तो तेणीने कुलटा जाणवी. // 45 // एम विचारीने ते तेणीन। पासे बचानक प्रगट थयो, त्यारे ते कनका. ती पण जाणे दोन पामी होय नहि तेम दाणमां पोतानो आकार गोपववा लागी. // 46 // हे P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust