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________________ धम्मि- क्त्वा मुक्तोऽमुना खेटः / सिंहेनेव मृगो ययौ // 7 // जायाया यामिकी व्य / यामिनीमतिबाह्य सः // प्रातस्तस्याः प्रबुछाया / निशावृत्तं न्यवेदयत् / / 10 / अटवीमपि मन्वानौ / मियो योगा साथ पुरीमिव // तीदणदर्जाग्रविघांही। चेलतुस्तौ दिशैकया / / 11 / / पुरः पुरस्य कस्यापि / बहिर्बहुत३१७ | रौ वने // लोकवंद्य बुलोकाते / गुणरत्नानिधं गुरुं // 15 // प्रदक्षिणय्य नत्वा च / निषलो तौ गुरोः पुरः // पटुश्रुतिपुटैरेवं / पपतुर्वचनामृतं // 13 // मेंशां विश्वास करवो नहि, एम कहीने सिंहे मुकेलो जेम हरिण तेम तेणे मुकेलो ते विद्याधर चाल्यो गयो. // 5 // पनी ते स्त्रीना रदकतरीके रात्री निर्गमन करीने प्रजाते ज्यारे ते जागी त्यारे तेणे तेणीने रात्रिनो वृत्तांत कही संगलाव्यो. // 10 // परस्पर थयेला मेलाषयी ते अट वीने पण नगरीनीपेठे मानताथका तेन तीदण घासना अपनागोथी पगमां वींधाया बता पण एक दिशातरफ चालवा लाग्या. // 11 // आगल कोश्क नगरनी बहार घणां वृदोवाळां वनमां लोकोवडे वंदाता गुणरत्न नामना गुरुने तेणे जोया. // 12 // त्यारे तेन तेमनी प्रदक्षिणा देश्ने तथा नमीने वागळ बेग, तथा सावधान कर्णपुटोथी तेमना वचनामृनने पीवा लाग्या. / 13 / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036431
Book TitleDhamil Charitra Bhashantar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1914
Total Pages176
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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