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________________ शा३ धम्मि- वास्य / वासतेयी व्यलीयत // 2 // स्वीयवशा परवशा / इयमेतविरुध्यते // इत्यब्जिनीप्रबोधेन / वदन्नुदितवान् रविः // 3 // मित्राय मंत्रिपुत्राय / दत्वा तां किंकिणीं रहः // प्रगे प्राग्वत्कुमारोऽ. गा-दयिताया निकेतनं // 4 // दणं विनोद्य वा निः / कुमारः सारिपाशिकैः / / पत्नी प्रीत्या परमया / रमयामास रागनुः // 5 // निशावृत्तवशात्मासौ / वायकध्यानयाऽनया // पदक्रमगमविद्याधर कोण हशे? या कनकवती केम तेने वश थर हशे? ते विद्याधरने मारे मारखोज जो. श्ये, इत्यादिक विचारतांज तेनी रात्रि व्यतीत थर. // 2 // पोताने जे वश होय ते परने पण वश होय, ए बन्ने बावत तो ( परस्पर ) विरोधवाळी , एवी रीते कमलिनीने विकस्वर करवायी जाणे कहेतो होय नहि तेम सूर्य उदय पाम्यो. // 3 // पनी पोताना मित्र मंत्रिपुत्रने गुप्तरीते ते घुघरी पापीने प्रनाते पूर्वनीपेठे ते गुणवर्मा कुमार पोतानी ते स्त्रीने घेर गयो. // 4 // प. जी ते रागी थयोथको दाणवारसुधि पोतानी पत्नीने वाताथी खुशी करीने परम प्रीतिथी सोगठां. बाजीवडे रमामवा लाग्यो. // 5 // रात्रिना वृत्तांतमां चिंतातुर बनेला तथा सोगगंनी चाल च लाववामां चतुर एवा पण ते कुमारने फक्त पातान। बाजामांज एकचित्तवाळी ते कनकवतीए जी Jun Gun Aaradhak PP.AC.Gunratnasuri M.S.
SR No.036431
Book TitleDhamil Charitra Bhashantar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1914
Total Pages176
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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