________________ धम्मि. अपोहतीह संदेह-संदोहं कीदृशो गुरुः // बूकानिहतलोकानां / को वा संजिवनौषधं // 7 // मा घनागम इति प्रश्न-स्योत्तरं प्रवितीय सा // ऊचे दिवापि संकोचं / मजयं गोरुहं कुतः // 7 // सोऽवर मध्ये सरः स्त्रांत्या / मुखं वीदय मृगीदृशः // दिवापि संकुचत्यंभो-रहं चंद्रोदयत्रमात् / / | // 400 / / सापि त्रिदशसाहाय्यात् / पटुंमन्याव्यधादय // वद किं दीयते दीपो / वऋग्री महेल. या // 1 // दूरस्थदयितध्यान-दारदश्रुनिपाततः // जीतया दीयते दीपो / वक्रीवं महेलया ॥शा गुरु संदेहनो समूह दूर करे ? अथवा बूथी हणाएला लोकोने जीवामनारां औषधसर कोण ने? | ए // -- घनागम' एटले जेने घणु झान ने एवो गुरु, तथा वरसाद- श्राववं, एवो न. तर यापीने वळी ते बोली के दिवसे पण कमल शामाटे संकोचाय ? | | सुरेंद्रदत्ते क. ह्यु के तळावमा स्नान करती युवतीनुं मुख जोश्ने चंद्रोदयना ब्रमथी दिवसे पण कमल संकोचा. य . // 400 / / पनी देवनी सहायताथी पोताने पंडित मानती सुभद्रा पण बोली के तमो कहो के स्त्री वांकी डोक राखीने शामाटे दीवो थापे ? // 1 // देशांतर गयेला (पोताना ) खा. मीना ध्यानधी खरतां बांसु पडवानी बीकथी स्त्री वांकी डोक राखीने दीवो आपेले. // 1 // एवी P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun "Gun Aaradhak Trust