________________ धम्मि- // 61 // जपदामुपपादोंते / मुक्त्वा नृपं ननाम सः // पीठे तदापिते हंस / श्वाब्जे निषसाद च / / | // 6 // राज्ञश्च तस्य चालापाः / प्रावर्तत परस्परं / / पूरयंतः सितादोद-स्यूतचूतरसस्पृहां।।६।। | नक्क्या च स्नेहलोत्या च / तोषितस्तस्य नृपतिः // मुमोच सकलं शुक्लं / गुणान्यः क न पूज्यते // 64 // श्ह स्थितस्त्वमागबे-रनिशं मम संसदि / / श्यादेशं नरेशस्य / स वितेने शिखामणि | // 65 // त्रिमं नगरस्यांत-स्तस्यावस्थितये नृपः // अदत्त सौध तुष्टा हि / नृपाः कल्पमा / / 61 // चरणमां नेटणु मूकीने ते राजाने नम्यो, तथा हंस जेम कमलपर तेम राजाए अपावे. लां बासनपर ते बेठो. // 6 // पनी परस्पर सांकरना चूरासाथे मळेला यांबाना रसनी जाने परतो एवो वचन विनोद तेनी अने राजानी बच्चे थयो. // 63 // तेनी नक्तिथी तथा स्नेहयुक्त वचनोथी खुशी थयेला राजाए तेनुं सघबु दाण माफ कर्यु, केमके गुणवान माणस क्यां पूजातो नथी? // 64 // वहीं ज्यांसुधि रहो त्यांसुधि हमेशां तमारे मारी सनामां बाप, एवी रीतना राजाना हकमने तेणे पण मस्तके चडाव्यो. // 65 // पनी राजाए तेने रहेवामाटे नगरनी अंड रत्रा मजलानो महेल सोंग्यो, केमके खुशी थयेला राजा कल्पवृदासमान थइ पडेले. // 66 // P.P.AC. GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust