________________ धम्मि- ती कामलालसा // सर्वसंपन्नदीशैले / शीले स्यामवकीर्णिनी / / 75 // याहशस्तादृशो वास्तु / प. माईतिम धम्मिलः पुनः / / सत्कृत्कन्याः पदीयंत / ति न्यायो हि दुस्त्यजः // 16 // एवं गाढाग्रहां लमे / शुभे बहुनिरुत्सवैः // धम्मिलस्तामुपायंस्त / सत्वरं पितुराया // 7 // स ध्यायंस्तं कर्ण शास्त्र-रसरिक्तमपार्थकं // वध्वा हस्तात्तया हस्त-जुषां सस्मार पुस्तकं // 70 // कोटिमात्र धनं लेने / यदसौ करमोचने // ददतोऽर्थिषु तत्तस्य / गृहादाग व्यशीर्यत // 17 // परिणीतोऽप्यदाच बीजो वर करूं तो हुं सर्व संपदारूपी नदीने नत्पन्न करवामां पर्वतसरखा शीलनो भंग कर नारी थानं // 35 // माटे ते गमे तेवो होय तो पण मारो पति तो धम्मिलज , केमके कन्या एकज वार अपाय , ए नीति त्यजी शकाय नहि. // 76 // एवी रीते दृढ निश्चयवाळी ते य. शोमतीने शुभ लग्ने घणा महोत्सवथी धम्मिल पितानी आझाथी तुरत परण्यो. // 7 // शास्त्र. ना रसथी रहित एवा परणवाना ते समयने ते निरर्थक जतो गणवा लाग्यो, तथा स्त्रीना हस्त. मेलापसमये तेणे पोताना हाथना ऋषणरूप पुस्तक याद कयु. // 9 // वळी हस्तमोचनसमये | तेने जे कोमोगमे धन ( श्वशुर तरफथी) मव्यु, ते धन (मार्गमांज) तेणे याचकोने यापी Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.