________________ sec@@@@ अर्थ:-त्यारे प्रभुए तुरतज श्रीकृष्णने का के, हे कृष्ण तमो ते बिचारा रोकडा सुकुमाल शत्रुपर कोपन वकीपुत्र करो ? केमके तेणेतो मोक्षमा जता एवा तमारा ते भाइने सहाय करेल है. // 49 // तपसाग्न्युप्रेण चिगत् / क्षिपति कर्माणि संचितानि भवैः // तरसांनिध्यात्तेन-क्षितानि मुहूर्तमात्रेण 50 // 34 // on अर्थ: अग्निसरखा भयंकर तपथी पण पूर्वभवमां संचित करेला जे जे कर्मो घणे काळे क्षय थात, ते / / कर्मोने ते गजसुकुमालमुनिए ते पुरुषनी सहायथी फक्त एक मुहुर्तमांज क्षीण करी नाख्यां छे. // 50 // शौरिरुवाच जिनेंद्रं / प्रोक्ता भवताऽपराधिनोऽपि गुणाः // मधुशर्करागुडः खल्लु। स्वबंधभंगेऽथ जलमखिलं : अर्थः-यारे श्रीकृष्ण भगवानने को के, हे भगवन् ! आपे एम कणु के, ते अपराधी पुरुषयी पण गज-* सुकुमालमुनिने तो गुणज थयो छे, केमके मध, साकर अथवा गोळ पोतपोताना बांधानो भंग थयावाद, ते सपळा जलरूपज.थाय छे. // 51 // ......... ID परमेषः खलुपोपी / मयोपलक्षणीयः कथं नाथ // इत्युदितः सुव्यक्त / पुरुषोत्तममेवमाह जिनः // 52 // अर्थः परंतु हे स्वामी ! खरेखर मारे ते पापीने केम ओळखबो ? एम श्रीकृष्णे पूछवाथी प्रभुए तेमने प्रगटपणे एम का के, // 52 // , ICE SSEECHE Eleesa Gunratolasun M.S.... Jun Gun Marathi .