________________ // 32 // हा तत्याज नवोढां / निदोषां मम सुतामसौ दुष्टः // दुष्टत्वमस्य सयो / मूर्ध्नि ततः पातयाम्यस्य // 25 // देवकीपुत्र अर्थ:-अरेरे ! आ दुष्टे नवी परणेली मारी निर्दोष पुत्रीनो त्याग कर्यो छे, माटे हवे तुरतज ते दुष्टपणुं तेनाज चरित्रम् मस्तकपर ना. // 25 // ... | निर्मानुषतां परितो। विभाव्य सर्वादिशो विलोक्य ततः // सरसस्तोरात् तरसा-मादाय समृतिका तूर्ण // ___ अर्थ:-पछी सर्व दिशाओ तरफ जोइने, आसपास कोई पण मनुष्यने नही जोवाथीं, ते दुष्ट तुरत तळावने (D) b कांठेथी भीनी माटी लाव्यो. // 26 // 2 गजसुकुमालस्य मुने-बंध पालिं च मूर्ध्नि सद्वृत्तां // पूरयतिस्म ततोऽसौ / तां पालिं खादिरांगारेः 27 12 o अर्थः-पछी ते दुष्टे ते गजसुकुमालमुनिना मस्तकपर ते माटीवडे गोळाकारनी पाळ बांधी,, अने ते पाळमा वळता खेरना अंगारा भर्या // 27 // | स कूरः कृत्वैवं / पलायतेस्माशु जातशौरिभयः // स्वत एव महापापोः / पुरुषास्त्रस्यति सर्वत्र // 28 // 1 ID अर्थः-एम करीने श्रीकृष्णनो भय लागवाथी ते दुष्ट त्यांची तुरत नाशी गयो. केमके महापापी पुरुषो जगोए पोतानीमेळेज भय पाम्या करे छे.॥२८॥ Jury Gun Saradha महडseeesSESE Eeeeeeeseseas SIDESI P . " HTupratnasuri M.S...