________________ 84 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र कहीं अन्यत्र जा सकती हूँ ? मैं तो कहीं नहीं गई थी। लेकिन लगता है कि आप जरुर कहीं-नकहीं गए थे। मैं तो आपसे आज्ञा लिए बिना महल के बाहर कदम भी नहीं रखती हूँ।" गुणावली की ये बनी-बनाई बातें सुन कर आश्चर्यचकित हुआ राजा सोचने लगा कि इसमें गुणावली का कोई दोष नहीं है। वीरमती की कुसंगति के प्रभाव से ही यह ऐसी कटु और कपटपूर्ण बातें बोल रही है। सारा दोष तो मेरी सौतेली माँ का ही है। अच्छा मनुष्य बुरे मनुष्की संगति से वैसे ही बिगड़ जाता है, जैसे नारियल का पानी कपूर के संग से विषमय हो जात है। 'जैसा संग वैसा रंग' यह कहावत बिलकुल सार्थ और सच है ! दुष्ट की सगति अग्नि के समान जलानेवाली और दुःखदायी होती है। दुष्टों कि संगति ही सभी दुर्गुणों की जड़ है / मीट गंगाजल भी समुद्र के खारे पानी की संगति से खारा बन जाता है। कस्तूरी भी लहसुन क संगति में रह कर दुर्गधियुक्त हो जाती है। कहावत है कि स्त्री, जल, आदी, आँख और राजा. इन पाँचों को जैसा झुकाओ, झुकते हैं' और यह बिलकुल सच ही है। इस प्रकार विचार करते-करते आभानरेश चंद्र ने अपनी रानी गुणावली से कहा, " प्रिये, उल्टी-सीधी और बनावटी बातें बताना बंद कर के जो सच है वही कह दे / यदि तून सबकुछ सच-सच बताया, तो मैं तुझे तेरे अपराध के लिए क्षमा करूँगा और मेरा प्रेम तेरे प्रति पहले जैसा और अखंडित रहेगा।" लेकिन सास के कहने से गुमराह हुई और सास की शक्ति से भयभीत गुणावली ने राज चंद्र को सत्य बातें न कह कर एक के बाद एक अनेक मनगढन्त, कल्पित बातें बताई / राज ने शांति और धीरज से रानी की सारी बनावटी बातें सुनी और फिर रानी को बताया, "हे प्रिय कल रात मैंने भी एक आश्चर्यजनक स्वप्न देखा / यदि मैं उस स्वप्न की बात तुझसे कहूँ, तो शायद विश्वास भी नहीं कर सकेगी। लेकिन मुझे तो वह स्वप्न बिलकुल सत्य लगता है / ' . इसपर आश्चर्य से उत्कंठित हुई रानी ने राजा चंद्र से पूछा, “हे स्वामिनाथ , आप कैसा स्वप्न देखा ? कृपा कीजिए और मुझे बताइए कि आपने स्वप्न में क्या देखा था ?" / रानी की उत्सुकता जान कर राजा ने कहा, “हे प्रिये, मैंने कल रात स्वप्न में वह देर कि तू अपनी सास राजमाता वीरमती के साथ यहाँ से 1,800 योजन दूरी पर विमलापुरी गई / तुम दोनों ने वहाँ की राजकुमारी प्रेमला और सिंहलनरेश के पुत्र कनकध्वज का विवाहमहोत्र देखा और रात को ही तुम दोनों वहाँ से वापस लौट आई।' P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust