________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र धीरे-धीरे राजकुमार के विवाह की बात सारी नगरी में फैल गई। सबके मन में एक ही बात की जिज्ञासा थी कि अब राजकुमार का विवाह होनेवाला है, तो महाराज सिंहलनरेश अब राजकुमार को गुप्तगृह में से बाहर निकालेंगे और अब हमें राजकुमार के दर्शन करने का अवसर मिलेगा। हिंसक मंत्री ने चंद्र राजा को आगे बताया कि इधर जब मैं राजकुमार के विवाह की तैयारी कर रहा था, तब सिंहलनरेश ने मुझ से कहा, “मंत्री, तुम क्यों यह सारा अनर्थ कर रहे हो ? एक सुशील और सुंदर कन्या का जीवन बरबाद करने के लिए तुम क्यों तैयार हो गए हो ? कुमार कोढ़ रोग से ग्रस्त है यह बात आखिर कब तक छिपी रहेगी ? अंत में पाणिग्रहण के समय तो यह बात प्रकट हुए बिना नहीं रह सकेगी न ? जब राजकुमार का कोढ़ी रुप देख कर राजकुमारी विवाह करने से साफ इन्कार कर देगी, तब मुँह छिपाना पडेगा, नाक कट जाएगी और राजकुमार का विवाह हुए बिना बरात को लौट आना पड़ेगा, तब हमारे शत्रु हमारी हँसी उड़ाएँगे, हमारा मुँह नीचा हो जाएग; / क्या इस बात की तुम्हें खबर भी है ? अपने ही राज्य में अपनी जनता को मुँह दिखाना कठिन ही जाएगा। हमारा सारा भंडाफोड़ हो जाएगा। देखो मंत्री, अब भी कुछ नहीं बिंग़ड़ा हैं / विमलापुरी के नरेश को कोई बहाना बना कर हम कहलवा सकते हैं कि हमने विवाहसंबंध निश्चित तो किया था, लेकिन अमुक कारण निकला है, इस लिए विवाह कराने का हमारा विचार नहीं है।" सिंहलनरेश की बात सुन कर मैंने उनसे कहा, “महाराज, आप बिलकुल चिंता मत कीजिए। जैसे आपने पहले पुत्रप्राप्ति के लिए कुलदेवी की आराधना की थी, वैसे ही फिर एक बार कुलदेवी की आराधना कीजिए / देवी प्रसन्न होकर अवश्य ही कोई-न-कोई उपाय सुझाएगी। आप कोशिश तो कीजिए, महाराज ! चिंता मत कीजिए। सब ठीक हो जाएगा।" __मेरी बात सुनकर राजा ने कुलदेवी की आराधना फिर एक बार प्रारंभ की। कुछ दिनों की आराधना के बाद देवी ने राजा के सामने प्रकट होकर कहा, “हे राजन्, तू मुझे बार बार अपने पास क्यों बुलाता हैं ? बोल, तू मुझसे क्या चाहता है ?" ... इसपर राजा ने देवी से कहा, 'हे माताजी, मेरा पूर्ण विरोध होते हुए भी हिंसक मंत्री ने राजकुमार कनकध्वज का विवाह विमलापुरी के राजा की कन्या प्रेमलालच्छी के साथ निश्चित P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust