________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र वर्षा प्रारंभ हुई / धरती पर सर्वत्र पानी-हो-पानी फैल गया। नगरी में रास्तों पर से आनेजानेवाले लोगों में भगदड़ मच गई। सब लोग भागते हुए अपने-अपने घरों में घुस गए। ___ वातावरण में अचानक आया हुआ यह परिवर्तन देख कर चंद्र राजा ने अपनी राजसभा का काम तुरन्त रोक दिया और वह सूर्यास्त होने से पहले ही गुणावली के महल में लौट आया / अपने पतिदेव को अचानक इतनी जल्द महल में लौट आते हुए देख कर गुणावली मन-हीमन अत्यंत आश्चर्यान्वित हुई। यह सारा चमत्कार देख कर अब गुणावली को अपनी सास की बातों पर विश्वास हो गया। / पति को आते देख कर दोनों हाथ जोड़ कर पति का स्वागत करते हुए गुणावली ने कहा, “हे स्वामिनाथ, आज आप राजसभा में से जल्द लौट आए है, इससे मुझे अत्यंत हर्ष हुआ है। लेकिन है प्रिय, आपके मुँह पर उदासी क्यों दिखाई दे रही है ?" इस पर राजा चंद्र ने कहा, “प्रिय, प्रसन्नता हो भी कैसे सकती है ? ऐसी घुआँधार वर्षा और वातावरण में हुए परिवर्तन के कारण राजसभा का काम समय से पहले ही रोक देना पड़ा। इससे मेरा स्वास्थ्य ठीक नही है, कँपकँपी हो रही है।" राजा की बात सुन कर गुणावली ने तुरन्त सुकोमल शय्या सजाई। राजा शय्या पर बैठ गया / गुणावली ने कस्तूरी आदि से मिश्रित सुगंधित तांबूल राजा को खाने के लिए दिया / उसने सुगंधित मसालों से युक्त दूध गर्म कर राजा को पीने के लिए दिया। उसने नारायण तेल आदि से राजा के शरीर को मालिश किया। इससे राजा के शरीर की कँपकँपी नष्ट हो गई और राजा के शरीर में फिर से गरमी आई / गुणावली ने ऐसी कुशलता से शय्या पर लेटे हुए राजा चंद्र का शरीर दबाया कि राजा निद्राधीन होने लगा। आज गुणावली का चित्त विमलापुरी जाने की चिंता से चचंल हो गया था। इसलिए वह बार बार शय्या पर लेटे राजा की ओर देख रही थी कि वह सो गया है या अभी जाग रहा है। धीरे-धीरे संध्या समय हुआ। लेकिन संध्या समय राजा को नींद आए भी कैसे ? गुणावली की चंचलता को राजा ने भाँप लिया। वह मन में सीचने लगा कि आज मेरी रानी इतनी चंचल क्यों दिखाई देती है ? मन मैं आशंका निर्माण होते ही राजा ने आँखें बंद कर ली और नींद का दिखावा करते हुए वह शय्या पर लेटा रहा / लेटे-लेटे राजा सोचने लगा कि आज मेरी सुशीला P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust