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________________ 214 - श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र वीरमती ने मन में ऐसा विचार करके गुणावली को अपने पास बुलाया। भयभीत-सी होकर गुणवाली चली आई, तो वीरमती ने उसे सुनाया, 'बहू गुणावली, मैंने सुना है कि विमलापुरी मे' तेरे पति चंद्र को मनुष्यत्व की प्राप्ति हो गई है और वह यहां आभापुरी में लौट आना चाहता है। लेकिन उसके यहाँ आने से कोई लाभ नहीं होगा। उसके मन की मुराद पूरी नहीं होगी। वह मुझे जीत कर आभापुरी का राज्य फिर नहीं पा सकेगा। मेरे सामने वह एक सियार जैसा है। एक सिंह के सामने सियार आखिर कितने समय तक टिक सकेगा ? ____ बहू, तुझे भी यह बात मालूम हो ही गई होगी। लेकिन तू मेरे भय से यह बात जानबूझ कर मेरे सामने प्रकट नहीं करती है। लेकिन तू अपने पति को पत्र लिख कर उसे बता दे कि वह यदि फिर से मुर्गा नहीं बनना चाहता है, तो यहाँ लौट कर फिर से राज्य प्राप्त करने की इच्छा न रखें। बहू, यह बात गुप्त ही रख ले। किसी पर भी यह बात प्रकट मत कर / यदि तू मेरे कहने की उपेक्षा करके मुझे ठगने की कोशिश करेगी तो याद रख, मेरे जैसी खराब स्त्री दुनिया में अन्य कोई नहीं होगी। देख, मैं तो तेरे पति को समझाने के लिए विमलापुरी जाना चाहती हूँ। तू यहाँ खुशी से रह ले। जितना हो सके, मैं जल्द ही वापस चली आऊँगी।" सास की कही हुई सारी बात सुन कर गुणावली ने उससे कहा, माँजी, आप ऐसा क्यों कह रही हैं ? वे फिर से मनुष्यत्व प्राप्त कर चुके हैं / यह उड़ती खबर मेरे भी कानों में पड़ी है, लेकिन मुझे इस बात पर विश्वास नहीं होता है। माँ जी, मैंने आपके जैसी शक्तिशाली स्त्री संसार में अन्य कोई नहीं देखी है। किस मैं ऐसी शक्ति है कि आपके किए हुए किसी कार्य को अन्यथा कर सके उलट सके ? सच पूछिए तो मुझे ऐसा होना ही असंभव लगता है। __नटमंडली का इतना दूर होने वाली विमलापुरी जाना और वहाँ आपके पुत्र का मुर्गे से फिर मनुष्य बनना यह सब मुझे सरासर एक अफवाह की तरह लगता है। हाँ, यह अवश्य हैं कि यदि आप चाहे तो उन्हें मुर्गे से मनुष्य बना सकती हैं, क्योंकि आपके पास वैसी दैवी शक्ति विद्यमान है। आपके पास है, वैसी शक्ति अन्य किसीके भी पास नहीं है / माँ जी, फिर भी यदि आप विमलापुरी जाने की इच्छा रखती हैं, तो आप खुशी से जा सकती हैं। आपको वहाँ जाने से कौन रोक सकता है ? लेकिन मेरी इच्छा इस समय वहाँ आने की नहीं है। इसमें आपको जो ठीक लगता है, वही आप कीजिए।" गुणावली ने बहुत होशियारी और सावधान से अपनी सास के विचारों को बदलने का प्रयत्न किया, लेकिन औंधे घड़े पर पानी डालने से क्या परिणाम निकलता है ? सास भी टस-से P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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