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________________ 200 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र / नाम की मेरी पटरानी है। मेरी सौतेली माँ की और से भ्रम में डालने से मेरी पटरानी गुणावली उसके वाग्जाल में फँस गई / मेरी विमाता वीरमती के पास देवों से प्राप्त अनेक विद्याएँ हैं इसलिए मेरी सौतेली माँ वीरमती और उसके भ्रमजाल में फँसी हुई मेरी पटरानी गुणावली ने मिलकर यह निश्चित किया कि आज हम दोनों रात को आम के पेड़ पर बैठ कर आकाशमार्ग से विमलापुरी जाएँगी। वहाँ सिंहलनेश के पुत्र कनकध्वज का विमलापुरी के राजा मकरध्वज का कन्या प्रेमलालच्छी से विवाह होनेवाला है। यह विवाहोत्सव देखने योग्य हैं। लेकिन मुझे इन दोनों की इस योजना की खबर पहले ही मिल गई / इसलिए मैंने इन सास-बहू की सारी गतिविधि जानने का मन में निश्चय किया। वे दोनों रात का पहला प्रहर बीत जाने के बाद आभापुरी के उद्यान में गई। मैं भी छिप-छिप कर उनके पीछे उनसे अनजाने उद्यान में पहुँच कर एक पेड़ के पीछे छिप कर बैठा। उद्यान में पहुँच कर वीरमती ने मेरी पत्नी को संकेत से बताया कि ‘सामने जो आम का पेड़ दिखाई दे रहा है, उसपर बैठकर हम दोनों को आकाश मार्ग से विमलापुरी जाना है / हम यहाँ से दो घड़ियों में विमलापुरी पहुँच जाएँगी।' मैंने उन दोनों की नज़र बचाई और मैं भी उसी आम के पेड़ के कोटर में जाकर छिप कर बैठ गया। कुछ ही समय में सास-बहू दोनों वहाँ आई / दोनों आम के पेड़ की डाली पर बैठ गई। फिर मेरी सौतेली माँ ने मंत्रित छड़ी से पेड़ पर तीन बार प्रहार किया। तीसरा प्रहार होते ही वह आम का पेड आकाश की ओर उठा और वायुगति से आगे चलने लगा / कुछ ही समय के बाद यह आम का पेड़ मेरी सौतेली माँ के इशारे पर विमलापुरी के उद्यान में उतरा। ___ आम के पेड़ के विमलापुरी के उद्यान में उतरते ही सास-बहू दोनों विमलापुरी के पूर्वदिशा के दरवाजे से नगरी में प्रवेश कर गई / मैं भी लुकता-छिपता हुआ, उस आम के पेड़ के कोटर से उतर कर, उनके पीछे-पीछे आ ही रहा था। लेकिन पूर्व दिशा के दरवाजे के सामने हिंसक मंत्री के सेवकों ने मुझे रोक लिया। उन्होंने अचानक कहा-'आभानरेश चंद्र की जय हो।' मैंने उनसे पूछा कि तुम लोग कौन हो और मुझे क्यों रोक रहे हो ? इस पर उन सेवकों ने मुझे बताया, “हे आभानरेश, हम लोग सिंहलनरेश के सेवक हैं। आपको हमारे स्वामी बुला रहे हैं। इसलिए आप हमारे साथ चलिए।" P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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