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________________ 14 . श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र मनुष्य के लिए पंछी को पिंजड़े में बंद कर के रखना उचित नहीं है। किसी भी जीव को बंधन में रखने से उस कर्म का बंधन मनुष्य पर हो जाता है। इससे उस मनुष्य के जीव को जन्मजन्मांतर तक वध और बंधन की पीड़ा भोगनी पड़ती है।" साधु का उपदेश सुन कर प्रभावित हुए पापभीरु विद्याघर ने तुरन्त मुझे पिंजड़े में से मुक्त कर दिया। मुक्त होकर मैं नित्य स्वतंत्रतापूर्वक घूमता हुआ इस दिशा से होकर आगे जा रहा था। रास्ते में यहां यह छतनार आम का पेड़ देख कर मैं विश्राम करने के लिए उसकी डाली पर आ बैठा। इसके बाद हम दोनों के बीच जो वार्तालाप हुआ, वह सब तो तुम जानती ही हो / इसलिए हे रानी, अब तुम अपने दु:ख का कारण मुझे बता दो। मैं तुम्हें यूं ही सांत्वनाआश्वासन नहीं दे रहा हूँ। मैं अपनी शक्ति के अनुसार तुम्हारे दु:ख का निवारण करने की भरचक कोशिश करूँगा / वह न हो सके, तो तुम्हारे दु:ख निवारण का मैं अचूक उपाय बताऊँगा।" तोते की बातें सुन कर प्रसन्नचित हुई रानी वीरमती ने अपना आंतरिक दुःख तोते को बताते हुए कहा, “हे प्रिय बंधु, यदि तू मंत्र-तंत्र-यंत्र- औषाधि का सच्चा जानकार है, तो मुझे बता दे कि मेरा भाग्योदय कब होगा और मैं पुत्रसुख कब देख सकूँगी ? यदि तू मेरा यह दुःख दूर करेगा तो मैं तुझे नौ लाख रूपए मूल्य का हार पहनाऊँगी, तुझे स्वादिष्ट भोजन कराऊँगी और तेरे उपकार को कभी नहीं भूलूंगी। मैं तेरी शरण में आई हूँ। इसलिए मैंने दिल खोल कर अपना आंतरिक दुःख तेरे सामने प्रकट किया है। चाहे जिस प्रकार से क्यों न हो, लेकिन तू मुझे पुत्र का दान दे दे और मेरा जीवन सार्थक कर दे।" वीरमती के दु:ख का कारण जान कर तोते ने सहानुभूति दिखाते हुए कहा, “हे देवी, तुम दु:खी मत हो / वैसे मेरी शक्ति तो कुछ भी नहीं है, लेकिन ईश्वर तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूरी करेगा / मैं तो तुम्हें सिर्फ पुत्रप्राप्ति का उपाय बताऊँगा। आज से मैं तुम्हें सगी बहन मान कर तुम से व्यवहार करूँगा। तुम्हारे सुख के लिए मुझ से जो कुछ भी बन सके, मैं, अवश्य करूँगा।" . . तोते की आश्वासनभरी बातें सुन कर वीरमती का मन शांत हुआ। अब तोते ने रानी वीरमती को बताया, “हे बहन, अब मैं तुम्हें एक उपाय बता रहा हूँ, उसे तुम ध्यान देकर सुन लो। सुनो - इस जंगल की उत्तर दिशा में एक उद्यान है। इस उद्यान में श्री ऋषभदेव स्वामि का P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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