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________________ 120 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र योगिनी किसी आदर्श और श्रेष्ठ राजा का गुणगान कर रही थी। गीत पूरा होने पर योगिनी को प्रणाम कर प्रेमला ने उससे पूछा, “आप किसका गुणगान कर रही थीं ?" इसपर योगिनी ने उत्तर दिया, “पूर्व दिशा में स्थित आभापुरी नामक नगरी पर चंद्र नाम का राजा राज्य करता है। यह राजा सभी राजाओं में श्रेष्ठ है, सभी सद्गुणों का वह भंडार ही है। वह न्याय, नीति और प्रेम से अपनी प्रजा का पालन करता है। वह रूपसौंदर्य में कामदेव जैसा, तेज में सूरज के समान, पराक्रम में सिंह की तरह और परोपकार-रसिक है। मैंने उसका नमक खाया है और मेरे मन में उसके प्रति अपने प्राणों से भी अधिक प्रेम है / उसी आभानरेश चंद्र का नित्य गुणगान करती हुई मैं इस धरती पर परिभ्रमण करती हूँ। इस समय पृथ्वी के लिए आभूषण समान होनेवाले इस चंद्र राजा को उसकी सौतेली माँ ने किसी कारण वश मुर्गे के रूप में बदल दिया है। इस घटना से मैं बहुत खिन्न हो गई हूँ और उस आभानगरी का त्याग कर घूमती हुई यहाँ आ पहुँची हूँ। अभी तक मैं अनेक देशों में घूम आई हूँ, लेकिन आभानरेश चंद्र के समान चरित्रशील सत्पुरुष मैंने अभी तक अन्य कोई नहीं देखा। इसलिए मैं दिनरात इसी चंद्र राजा का गुणगान करते रहने में अपना समय व्यतीत करती जा रही हूँ। अचानक योगिनी के मुख से आभानरेश चंद्र के गुणों का वर्णन सुन कर प्रेमला के हर्ष | का पार न रहा। अपने पति के बारे में पूर्ण समाचार देनेवाली योगिनी को साथ लेकर प्रेमला | अपने पिता राजा मकरध्वज के पास आई। राजा ने योगिनी का यथोचित सम्मान कर उससे पूछा, "हे योगिनी, तुम आभापुरी के राजा चंद्र के बारे में जो कुछ भी जानती हो, वह बता दो।" योगिनी ने चंद्र राजा के बारे में प्रेमला को जो कुछ भी बताया था, वह सब राजा मकरध्वज को कह सुनाया। यह सब सुन कर राजा मकरध्वज के हर्ष का कोई पार न रहा। राजा ने अपनी पुत्री प्रेमला से कहा, “हे प्रिय पुत्री, तेरी कही हुई बातें बिलकुल सत्य हैं / तेरा पति महान् और महाभाग्यवान् लगता है। लेकिन तेरे पति का देश यहाँ से बहुत दूर है। तेरे पति को उसकी सौतेली माँ ने मुर्गा बना दिया है। इसलिए इस समय तेरे पति से तेरा मिलन बहुत कठिन प्रतीत होता है। लेकिन चिंता मत कर, धैर्य धारण कर / शासन देवी ने तेरे सामने प्रकट होकर जो कहा है वह कदापि मिथ्या नहीं हो सकता है / तुझे तेरे पति का समागम अवश्यमेव मिलेगा, चिंता मत कर / हे पुत्री, जब भाग्य अनुकूल होगा, तब अनायास सब ठीक हो जाएगा।" P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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