________________ 106 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र राजकुमारी प्रेमला आखिर एक वीर राजा की पुत्री थी। इसलिए चंडालों की बातें सुन कर और उनके हाथों में होनेवाली तीखी धार तलवारें देख कर वह बिलकुल नहीं धबराई / अपने कर्म की विचित्र लीला का विचार करते हुए वह खिलखिला कर हँस पड़ी और उसने चंडालों से कहा, "भाईयों, आप राजा के आदेश का शीघ्र पालन कर लीजिए / इसमें आप लोगों का कोई दोष नहीं है।" राजकमारी का धैर्य देख कर चंडालों ने मन में सोचा, हैं ! यह कैसा आश्चर्य है कि मृत्यु के समय भी यह राजकुमारी हँस रही है ? इसकी हँसी के पीछे अवश्य ही कोई-न-कोई रहस्य है।' इसलिए चंडालों ने राजकुमारी से पूछा, "हे राजकुमारी, आपके सामने मृत्यु साक्षात् खड़ी है, फिर भी आप हँसती हैं ? यह क्या बात हैं ? हमारी समझ में कुछ नहीं आता है !" चंडालों की जिज्ञासा जान कर राजकुमारी ने कहा, “हे बंधुओ, मेरे हास्य का कारण आपको बताने से क्या लाभ होगा ? यदि इस हँसी का कारण मेरे पिता ने मुझसे पूछा होता, तो मैं अवश्य बता देती। लेकिन महाराज ने मुझसे कुछ पूछा ही नहीं और मेरी कही हुई बातों को सुन कर भी अनसुना कर दिया, उसपर ध्यान नहीं दिया / कपटी विदेशियों की कपटपूर्ण बातों के चक्कर में पड़कर महाराज भ्रमित हुए हैं। इसलिए मुझे हँसी आ रही है। अब भी यदि वे मेरी सारी सच्ची बातें सुनने को तैयार हो, तो मैं सबकुछ बता कर उनकी बंद आँखें खोलने को तैयार प्रेमला की बातें सुनकर चंडालों ने विचार किया कि हमें एक बार तो इस राजकुमारी की | सारी बातें महाराज को बतानी ही चाहिए। अन्यथा, महाराज बाद में हमें दोष देंगे कि यदि ऐसा बात थी, तो मुझे तुम लोगों ने पहले ही क्यों नहीं बताया, चुपक्यों रहे ? चंडालों ने इस प्रकार आपस में विचारविमर्श किया और उन्होंने अपने में से एक की राजकुमारी के पास श्मशान में उसकी रक्षा करने के लिए रखा और बाकी सभी चंडाल श्मशान में से सुबुद्धि मंत्री के पास आए और उन्होंने मंत्री की श्मशान में घटित सारी घटनाएँ बता डाली / अंत में चंडालों ने मंत्री से कहा, "हमें तो ऐसा लगता है कि राजकुमारी बिलकुल निरपराध है। इसलिए एक बार राजकुमारी की कही हुई सारी बातें महाराज को बतानी चाहिए / राजकुमारीजी भी मरने से पहले अपने मन की बात राजा को ही बताने की इच्छा रखती हैं . P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust