________________ नौकरी की तलाश यहाँ भीमसेन का दूकान के नाके पर बैठना था, कि शीघ्र ही वहाँ ग्राहकों की भीड़ लग गयी और धीरे-धीरे ग्राहकों की आमदरफ्त इतनी बढ़ गयी की देखते ही देखते व्यापारी का सारा माल बिक गया। : यों इस तरह हुए तात्कालिक परिवर्तन से आश्चर्य चकित हो व्यापारी विचारने लगा, "उफ्, आज से पूर्व ऐसा कभी घटित नहीं हुआ था। तब भला आज अचानक ग्राहकों की भीड़ कैसे उभर पड़ी? अवश्य इसके पीछे कोई दैवी संकेत है। संभव है आसपास में कोई पुण्यशाली व्यक्ति की उपस्थिति हो!" और उसने उत्सुक हो बाहर झांका। तब उसे दुकान के नाके पर एक अपरिचित व्यक्ति बैठा दृष्टिगोचर हुआ। सहसा उसने मन में एक विचार काँध गया : 'हो न हो यह सब इसका प्रभाव है।' और वह बार-बार भीमसेन की ओर दृष्टि गड़ा कर देखने लगा। पुनः मन में विचार तरंगे उठने लगी, अवश्य यह कोई तेजस्वी पुरुष है, किन्तु मुसीबत का मारा है। उसकी मुखमुद्रा स्पष्ट बता रही है, कि यह किसी गहरी व्यथा, वेदना और चिंताओं से घिरा हुआ है। भला वह किस चिंता में होगा? क्यों न उसीको पूछ लूँ और सम्भव हो तो अवश्य सहायता करू!" हे भद्र पुरुष! आप कौन है? कहां से आये है, इस नगर में आगमन का प्रयोजन क्या है, इससे पूर्व तो आपको कभी इस नगर में देखा नहीं है, लगता है आप परदेशी है। जो भी हो यदि मुझे अपना परिचय देंगे तो अच्छा रहेगा।" / PIADI . हरिसागपुरा शेठ लक्ष्मीपति दुकान पर उदासी लिए बैठे भीमसेन को देखकर उससे बातचीत कर रहा हैं। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust