SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जंगल की और अंग-प्रत्यंग को प्रकंपित करती है। और तो और देह ढंकने के लिये गज भर कपड़ा तक नहीं है आज उनके पास! यह कर्म की लीला नहीं तो और क्या है? अलबत्त, दोनों कुँवर आयु में अवश्य छोटे थे। परन्तु भीमसेन व सुशीला सदैव उन्हें धर्म की शिक्षा देते रहे थे। इसी शिक्षा के कारण दोनों बालक यह समझ रहे थे कि, जो कुछ घटित हो रहा है, वह भाग कर्म का फल है। पूर्व भव में अवश्य कोई निकृष्ट कर्म किये होंगे, जिसका प्रतिफल इस भव में भुगतना पड़ रहा है। इस तरह आज वे जो दुःख उठा रहे हैं वह उनके ही बुरे कर्मों का फल है, यों समझ कर दोनों राजकुमार आये दुःखों का सामना समता भाव से और साहस के साथ करते हुए अल्पावधि में ही गहरी निद्रा में लीन हो गये। तत्पश्चात् भीमसेन ने अपने साथ रहे सुवर्ण मुद्राओं के बटुए को कुटिया के एक कोने में जमीन खोदकर उसमें छिपा लिया और जाने-अनजाने उस ओर किसी की दृष्टि न पड़े अतः उसे मिट्टी पत्थर से ढक दिया। तत्पश्चात् वह भी एक कोने में निद्राधीन हो गया। ___अन्त में सुशीला भी निद्रा में लीन हो गई। वैसे पति के विश्राम करने के उपरान्त ही स्वयं विश्राम करने की आर्यनारी की परम्परा रही है। दिन भर की थकान के कारण शीघ्र ही सब लोग निद्रा देवी की गोद में समा गये। न जाने कितना समय व्यतीत हुआ होगा। अचानक दोनों राजकुमार एक झीनी the VTION रिसोनपुरा भीमसेन सपरिवार पर्ण कुटिर में सो रहा हैं, और चौर धन की चोरी कर रहे है। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy