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________________ भीमसेन का पलायन , सुरसुन्दरी के ये वचन हरिषेण के कलेजे के आरपार निकल गये। उसने तुरन्त ही कहा : ___ 'प्रिये! अब ऐसा ही होगा। मैं ही अब राजगद्दी पर बैलूंगा और सारे देश में मेरी ही आज्ञा प्रसारित करूंगा। कल प्रातः ही भीमसेन को राज्य भ्रष्ट करके राज्य की समग्र सत्ता मैं अपने हस्तगत कर लंगा। संयोगवश यदि ऐसा नहीं हो सका तो मैं भीमसेन की उसके बाल बच्चे और स्त्री की हत्या करके सब को मौत के घाट उतार दूंगा। प्रिये। इस भूमण्डल पर आज तक ऐसा कोई माँ का लाल नहीं जन्मा जो बल-बुद्धि और शौर्य में मेरी बराबरी कर सके। मैं अपने बल और कल से कल प्रातः काल ही समस्त राजसत्ता अपने अधिकार में ले लूंगा। तब मगध साम्राज्य में भीमसेन का कोई नामलेवा शेष नहीं बचेगा। ___अतः प्रिये! अब तू निश्चित हो, सुख से रह। किसी भी प्रकार की कोई चिन्ता मत कर। तुम्हारे सभी मनोरथ अब मैं चुटकी में पूरे कर लूंगा।" कहावत है न, “अन्धा क्या चाहे, दो आँखे।' उसी तरह सुरसुन्दरी भी यही तो चाहती थी। उसकी एक ही भावना थी कि, येनकेन प्रकारेण वह स्वयं महारानी बन्ने और उसका स्वामी राजा। महारानी पद पर आसीन हो, घूमने और लोगों पर रौब गाँठने की उसकी तीव्र अभिलाषा थी। इस प्रकार अपनी तमन्ना पूरी होती अनुभव कर वह आनन्दित हो उठी और घंटे भर पूर्व जो उदास मुँह बनाकर बैठी हुई थी वहीं प्रमुदित हो, हंसती हुई कक्ष से बाहर चली गयी। तत्पश्चात् हरिषेण भी वहाँ से चला गया। और अगले दिन भीमसेन को किस प्रकार पदभ्रष्ट किया जाय, योजना को कार्यान्वित करने की प्राथमिक तैयारी में लग गया। . भीमसेन का पलायन कहा जाता है कि, दीवारों के भी कान होते है। अतः सुज्ञजन जब भी गुप्त मन्त्रणा करते है, तो धीमी आवाज में, कानों कान किसी को खबर न पहुँचे इस बात का पूरा ध्यान रखते है। परंतु हरिषेण ने इस प्रकार की कोई सावधानी नहीं बरती, ना ही उसने इस बात की ही परवाह महसूस की तथा उच्च स्वर में अपनी योजना के सम्बन्ध में बोलने लगा। सनन्दा ने उसका पूरा वार्तालाप सुन लिया। भीमसेन के घात की भयंकर योजना सन, वह पल दो पल स्तब्ध रह गयी। भीमसेन की पदच्युति और कुंवर सहित जान से मार डालने के षड़यन्त्र की भनक पडते ही वह सिर से पाँव तक काँप उठी। वह वहाँ से चुपचाप खिसक गयी और तेजी से डग भरते हुए भीमसेन के महल पहुँची। भीमसेन उस समय विश्राम कर रहा था। उसने उससे तुरंत जगाने का आग्रह P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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