________________ भीमसेन चरित्र और बड़ी धूमधाम के साथ सुशीला का दोहद पूरा किया। तत्पश्चात् गर्भावास की अवधि पूरी होने पर सुशीला ने पुत्र को जन्म दिया। कहावत है कि पुत्र के लक्षण पालने में ही स्पष्ट हो जाते है। नवजात शिशु के सम्बन्ध में भी यही बात सिद्ध हुई। उसके लक्षण जन्म से ही ऊँचे थे। उस समय सभी ग्रह भी सौम्य और उच्च स्थान पर स्थित थे। संक्षेप में, पुत्र उत्तम लक्षणों से युक्त हो परम कान्तिवाला था। . पुत्र जन्म ते ही, परिचारिका ने तुरन्त भीमसेन को बधाई दी। शुभ समाचार प्राप्त कर राजा का हृदय नाच उठा। उसने परिचारिका को रल जड़त अंगूठी भेंट दी। अन्य याचकों को भी यथायोग्य दान प्रदान किया। साधु-सन्तों की भक्ति की गयी। चैत्यालयों में पूजा का आयोजन किया गया और समस्त नगर में बहुमूल्य प्रभवना वितरण की। राज पुरोहित को आमन्त्रित कर शिशु का जन्म संस्कार सम्पन्न किया गया। छठव दिन जागरण किया और बारहवें दिन, प्रियजनों व स्वजनों की उपस्थिति में पुत्र का नामकरण किया गया। तद्नुसार नवजात शिशु का नाम देवसेन रखा गया। देवसेन स्वभाव से शांत और सहिष्णु प्रकृति का था। उसका अंग-प्रत्यंग सौम्य और सुन्दर था। पांच धावमाताएँ उसका निरन्तर पोषण करती थीं। भीमसेन और सुशीला भी समय निकाल कर लाड-प्यार करते रहते थे। इस प्रकार अनेक हाथों में खेलते-कूदते हुए देवसेन दिन दुगुना, रात चौगुना बढने लगा। देवसेन के जन्म के अनन्तर एक बार फिर सुशीला ने शुभ स्वप्न देखा। इस बार स्वप्न में उसने सुन्दर विमान पर बहुत ऊँचे लहराते ध्वज के दर्शन किये। स्वप्न से जागते ही वह स्वामी के शयन कक्ष में गई और भीमसेन को जगाकर उसने स्वप्न का विवरण बतलाया "हे स्वामिन्! इस स्वप्न का मुझे क्या फल मिलेगा?" ___"प्रिये! इस स्वप्न के प्रभाव से तुम्हें कुल को दीपाने वाले पुत्र रल की प्राप्ति होगी।" प्रत्युत्तर में भीमसेन ने तुरन्त कहा। __ ऐसे शुभ समाचार से भला किस स्त्री को आनन्द नहीं होगा? और सुशीला भी तो आखिर स्त्री ही थी। वह आनन्द विभोर हो गयी। योग्य समय पर उसने सुन्दर लक्षणों से युक्त एक पुत्र को जन्म दिया। इस समाचार से राजमहल में पुनः हर्ष का वातावरण व्याप्त हो गया। भीमसेन ने शुभ समाचार देने वाले को रलहार भेंट कर अपनी प्रसन्नता प्रकट की। राजमहल के समस्त सेवकों और कर्मचारियों को योग्य पुरस्कार और भेंट सौगात दे, आनन्द व्यक्त किया गया। बारहवें दिन बहुत ही धूमधाम से भीमसेन ने दूसरे पुत्र का नामकरण महोत्सव आयोजित किया। इस प्रसंग पर अनेक स्नेही-स्वजनों, नगर के प्रतिष्ठित लोगों P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust