________________ भीमसेन का संसार तत्पश्चात् गुणसेन ने दीक्षा ग्रहण करने की प्राथमिक तैयारियाँ आरम्भ कर दीं। पूरे नगर में सांवत्सरिक दान दिया गया। बंदीजनों को कारावास से मुक्त कर दिया गया। नगर में सर्वत्र रोशनी की गयी। सभी चैत्य और मंदिरों में पूजोत्सव आयोजित किये गये और तब उन्होंने पूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमान चन्द्रप्रभसूरीश्वरजी महाराज साहब के पास दीक्षा ग्रहण की। पति का अनुकरण करते हुए महारानी ने भी असार संसार का परित्याग कर उनके साथ ही दीक्षा स्वीकार की। इसके अलावा राज्य के अन्य कई व्यक्तियों ने भी संयम पथ का अनुसरण किया तो अन्यों ने समकित - धर्म स्वीकार किया। ठीक वैसे ही कईयों ने ब्रहमचर्य व्रत का पच्चक्खाण अंगीकार किया। -- उसके बाद वर्षों तक, जीवदया से परिपूर्ण ऐसे चरित्र-रत्न का पूर्ण त्रिकरणयोग से व सम्यग् रूप से पालन करते हुए दोनों अपना आयुष्य पूर्ण कर अनुत्तर देवलोक के 068065 भीमसेन का संसार भीमसेन अब वास्तविक रूप से राजा बन गया था और मगध का सूत्र संचालन करने लगा। स्वभाव से वह अत्यन्त धर्म परायण और पापभीरू था। राजकाज के प्रति उसकी रुचि नहींवत् ही थी। फिर भी वह बड़ी मुस्तैदी से अपनी जिम्मेदारी निभाने लगा। फिर भी उसे लगा कि यदि हरिषेण के कन्धों पर भी राज्य का कुछ उत्तर दायित्व आचार्य भगवन्त के कर कमलों से भीमसेन के माता-पिता - गुणसेन व प्रियदर्शना दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust