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________________ 37 सुशीला स्वर्णकार अपना आलस्य त्याग कर सजग हो गये और राजकुल के विशिष्ठ सदस्यों के लिये कलात्मक आभूषण गढने में लग गये। इस अवसर को अपनी कारीगरी प्रदर्षित करने का अत्युत्तम प्रसंग मान, उन्होंने गहने बनाने में दिन रात एक कर दिया। भिन्न भिन्न प्रकार के हार, अंगूठियाँ, बाजूबन्द, रल कंगन, कर्णफूल, लौंग नथनी, बटन साफे की कलंगी आदि अलंकार बनाने में व्यस्त हो गए। दर्जियों ने भी अपनी मशीनें सम्भाल लीं। स्थान स्थान पर बेश कीमती कपड़ो के सुन्दर परिधान सिलने लगे। वादक-वृंद ने अपने साज नये बनवा लिये तथा नित्य प्रति रात में वे उसका अभ्यास करने लगे। मौके की नजाकत समझ उन्होंने अपनी पोशाक तैयार करवा ली। भाँडार गृहों में अनाज साफ होने लगा। घुड़शाला व गजशाला में हाथी-घोड़ो को खूब खिला पिला कर हृष्ट पुष्ट बनाया जाने लगा। उन्हे सुन्दर रंगों से सुसज्जित किया। राजमहल के बाहर एक विशाल मण्डप खड़ा कर दिया गया। इसकी रचना के लिये अनेक शिल्पियों, कारीगरों और मजदूरों को काम पर लगा दिया गया। कलात्मक खम्बों का निर्माण किया जाने लगा। रल जड़त चंदोवा तथा तोरणों से मण्डप को कलात्मक स्वरूप प्रदान करने का कार्य होने लगा। विद्युतमाला की रोशनी से सारा नगर नहा उठा। हर घर, हाट-हवेली रंगोली के मनभावन रंगो से निखर उठीं। झरोखे गवाक्ष दीपमालिकाओं से, झिलमिलाने लगे। सर्वत्र तोरण और बन्दनवार बाँधे गये। सार्वजनिक रास्ते और राजपथों को सजाया गया। ___ देखते ही देखते कौशाम्बी व राजगृही नगर की काया कल्प हो गयी। मानो पृथ्वी तल पर अनायास ही इन्द्रनगरी उतर न आयी हो? वरयात्रा (बन्दौली) का दिन भी आ पहँचा। वर का शंगार किया गया। सर्व प्रथम भीमसेन को उबटन लगाकर सुगंधित गुलाबजल से स्नान करवाया गया। मुलायम और महीन वस्त्र से भीमसेन के शरीर को पोंछा गया। पोषाक निर्माताओं ने आकर पोषाक परिधान करायी। सुरवाल पर बेलबूटेदार मखमल का कुरता और उस पर लम्बा कोट - जिस पर जरतार की कशीदाकारी अपनी सुरुचि का परिचय दे रही थी। मस्तक पर रन जड़त मुकुट, जो राजगृही के सुवर्णकारों की अद्वितीय कलात्मकता का परिचय दे रहा था। साथ ही राजकुमार की शोभा में चार चाँद लगा रहा था। सुन्दर सुवर्ण कलंगी मुकुट की शोभा को दिन दुगुना रात चौगुना बढ़ा दिया था। दसों अंगुलियों में विविध रंगी अंगुठियाँ पहनाई गईं। गले में नवलखा हार। कटिबन्ध रत्न मेखला से सोह रहा था। कान में मणिमुक्ता के कुण्डल और मुँह में सुगंधित मसालों से युक्त बीड़ा। ___ इस तरह वरराजा को उत्तमोत्तम रीति से सजाकर उसके हाथ में श्रीफल दिया। प्रशस्त भाल प्रदेश पर कुमकुम तिलक अंकित किया गया। तत्पश्चात् उसे सुवर्णालंकारों से सज्जित श्वेत अश्व पर बिठाया। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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