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________________ सुमित्र का देशान्तर-गमन - "बेटी, तुम्हें कैसा लगा? तुमको यह युवक पसंद है न?" कमला ने मृदु स्वर .. में पूछा। "माँ! इसमें भला पूछने की आवश्यकता ही क्या हैं? आप तो मेरे हितेषी है। जो भी करेंगे ठीक ही करेंगे और उसी में मेरा कल्याण है।" सुशीला की बात सुनकर सुमित्र मन ही मन सोचने लगा कि, “कन्या कितनी सुशील है। उसने कितना लाजवाब जवाब दिया है। सचमुच दोनों की जोड़ी कितनी मनोहारी और सुन्दर रहेगी।" तत्पश्चात मानसिंह ने सुशीला और भीमसेन की जन्म कुण्डली राज ज्योतिषी को मेलन के लिये दे दी। दोनों के योग कैसे है? दोनों का जीवन सुखी रहेगा या नहीं? परस्पर कुण्डली मेलन कितना उत्तम है? ग्रह मेलन सर्वश्रेष्ठ है या नहीं आदि कईं प्रश्न थे, जिनके सम्बन्ध में दोनों पक्ष सविस्तार जानना उचित समझते थे। सभी दृष्टि से, राज ज्योतिषीयों ने जन्म कुण्डली देखी। उसका मेलन किया। कुण्डली का पर्याप्त मेलन करने के बाद उन्होंने बताया कि, दोनों के ग्रह उच्च हो आपस में मेल अच्छी तरह खाते हैं। दोनों का वैवाहिक जीवन सुखी होगा। कन्या अपने शील व चारित्र के बल पर ससुराल पक्ष व कुल को उज्जवल और रोशन करेगी। भीमसेन भी इसे सुख व आराम से रखेगा। इसके सुख सुविधा के लिये वह निरन्तर जागृत रहेगा। ठीक वैसे इसे रंच मात्र भी दुःखी WOWINITIMIL IMITTIMIMIL JINNI STAR ETIMER हिरियोमारा राज परिवार द्वारा-ज्योतिषीओं को बुलाकर - दोनों ही पात्रो __की कुण्डली का सुंदर मिलान देखा जा रहा हैं। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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