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________________ 132 भीमसेन चरित्र लिया था। भीमसेन ने अपने युवाकाल में भूगर्भशास्त्र का अभ्यास किया था। वही अभ्यास आज उसकी विविध प्रकार से भूमि परिक्षण करने में सहायता कर रहा था। उसने परीक्षणों में पूरा एक दिन व्यतीत किया था। भूमि का आड़ा तिरछा माप लिया और उचित स्थान पर निशान लगाये। तब मन ही मन एक योजना बनाई और दूसरे दिन से अकेले ही कुदाली लेकर वह जमीन की खुदाई करने में लग गया। मुर्गे की बाँग से पूर्व ही भीमसेन उठ जाता। सर्व प्रथम नवकार मंत्र का स्मरण करता और तब तत्काल भूमि खोदने पहुँच जाता और कमर में कछोटा मार, नंगे पैर, खुले बदन, कुदाली लेकर खटाक खटाक खुदाई करने लगता। भीमसेन का शरीर सशक्त व स्वस्थ था। राजकाल के दिनो में उसने यथोचित व्यायाम तथा पौष्टिक आहार का सेवन कर शरीर सौष्ठव बनाया था। फलतः भारी परिश्रम के बावजूद भी उसे थकान का अनुभव नहीं होता था। भूगर्भ शास्त्र में तो वह माहिर था ही। अतः उसे अपने कार्य को अंजाम देते हुए अल्प श्रम करना पड़ता था। लगातार तीन चार दिन प्रातः से सन्ध्या तक बराबर खुदाई कार्य करते रहने के अनन्तर खदान में सहसा चमकते हुए पत्थर देखे। दूर-दूर तक रंग बिखेरते कंकर देखे। उसकी आनन्द की सीमा नहीं रही। अब उसका कार्य सरल बन गया था। देखते ही देखते उसने ऐसे कई चमकते व रंग बिरंगे पत्थरों को अलग छाँट कर एकत्रित कर Hinly -36 / हरिमोगरा PI HALI AVIKOMAL निरंतर खोदते हुएँ भीमसेनने चमकते हुए पथ्यर देखें, रंग बिखेरते छोटे छोटे टुकडे देखें। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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