________________ शुद्धम् पुष्ठम् पक्तिः अशुद्धम् शुद्धम् 167 // 9 // पृष्ठम् पक्तिः अशुद्धम् 164 14 निवाणं 165 7 ०क्षत्वें . 166 2 कि , 12 विप्राणा " 17 आयारि० निर्वाण ०क्षत्वे 170 171 176 177 ०हारणा० उवज्झा० जागो महा० अघभिन्न सहा. 11 4 विप्रणा० आरि० ०हाराणा उवज्झा० जोगे माहा० अणमिने सज्झा० // 9 // P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust