________________ ___ आगमोबध्यते पातकं महत् // 13 // परिग्रहारम्भमुक्ता, देशका मोक्षवर्त्मनः। पूजेषां मुक्तिदाऽवणे, बध्यते पातकं 11 गीकृत्यम् द्वारककृति- महत् // 94 // पृथिव्याः पालको भूपः, स्तुतो वाञ्छितमर्पयेत् / निन्दित्ता विदधीतात्रावार्यो पीडां वधा-11 सन्दोहे ता दिकाम् // 95 // सामन्तस्तनुते पक्षपाती चेद्राजयोजनं / सुखेन खेदितो राज्याचित्रां वांधां प्रदापयेत् // 16 // l अमात्यो मानितो दत्ते, विविधा राज्यजीविकाः। उद्विजितोन किं कुर्यादपहारोऽर्थसञ्चितेः।।९७॥सेनानी ग्रामणी॥३३॥ | देष्टो, यथार्ह रक्षति व्यथां / तस्यावणे न किं कुर्याद् , रक्षणकृतिविच्छिदाम् 1 // 98 // श्रेष्ठीमर्ता स्तुतः / सम्यगर्थोपार्जनमर्पयेत् / रोपितो विघ्नकर्ता न, व्यवहारे भवेत् किमु 1 // 99 // इत्येवं भषिका विचार्य | सुजनाऽवणे व्यथापूर्णतां, हानि सर्वगुणेषु लोकविदितां निन्दा तथा दुष्टताम् / आत्मा दुर्गतिपञ्जरायदि भवेदिष्टोऽत्र निष्काशितुं. नित्यं तजिनराङ्मुखाङ्गिगुगितां श्लाघश्चमतर्हृदि // 10 // नवसार्यों IS वरपुर्यां नवमरसास्वादलीनतनुगुया / जिनपादपावितोव्यों गुणकृतमरचं कृतिचर्याम् (व्यवरचं गुणकृद्र| माभूर्याम् ) // 101 // इति गुणग्रहणशतकम् // गीकृत्यम् (18). .. | योऽस्थाद्य पदं त्यक्त्वा, त्रैलोक्याराधिते पदे / तस्मै अगwधर्माय, निनाय सततं नमः // 1 // अशुचिस्थाने यद्वत्पतिता न ध्रियते शिरसि / माला यच्चम्पकसुमनस इष्टाकृतो गर्दै // 2 // यद्यपि चित्रा गर्दा, लोके चित्रक्रियानुगतिकत्वात् / जनसाया मतभेदस्तथापि न विवेकिनां गयें // 3 // अज्ञान तिपिरलुप्ताक्षयो न लोकन्त इष्टमिह सम्यक् / तत्किं नटं तदरुचिमीतेस्तस्याप्यभीष्टत्वम् ? // 4 // यदि | IM मेक्षते दिवान्यो, 'भानुं दशशतमयूखपरिकरितं / स्वर्भानवत्यसौ कि, कर्णायतलोचनचणानाम् 1 // 5 // एवं HOT P.P. Ac. Gunratrasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TruR