________________ लहै परलोय। सब कोय // 8 // मोखपुर माहि। दान एक पूरौ सव गुन गते धोखा नाहिं॥ (118) मुनिवर दान जोग सुभ खरच्यौ, सोई दरव लहै पर इक वट वीज सुखेत बोय, फल अनेक पावै सबको जिन अहार दीनों मुनिवरकों, तिननें धस्यौ मोखपुर निज ह अमर नगर घर कीनों, उच्च संगतें धोखा नार राज चुनें जिनमंदिर, तिनकै साथहि ऊरध जाति दैहिं दान अभिमान लोभ तजि, धन चंचल है ढरती छार __ अडिल्ल। ... जो थोरौ हू दान भगतिसौं देत है। साधुनिकौं सु अनंतगुनौ फल लेत है। . जैसे खेतमझार वीज कछु डारियै / तातें अति वहु पुंज प्रतच्छ निकारियै // 10 // कवित्त / जिन दान दियौसाधुनिकौं, निरमल मनवच काय लगाय। तिननैं पुन्य वीज उपराज्यौ, जातें भौ वारिधि तरि जाय॥ ताकी इंद करै अभिलाषा, कव मैं दैहुं मनुज भव पाय। तुक्यौं ढील करत है प्रानी, जानी वात देहि मन लाय // 11 // अडिन्छ। / मोख हेत रतनत्रै, मुनिवर धरत हैं। " काय सहाय उपाय, सु भोजन करत हैं। .. मुनिकों दान भगतिसौं, जिन स्रावक कखौ। तिन गृह जननें, सिव मारगमैं लै धस्यौ // 12 // कवित्त। (31 मात्रा) जप तप संजम सील विविध वृत, स्रावककै संपूरन नाहिं। आरंभ झूठ वचन चंचल मन, पाप पुंज बाटै घर माहिं // (110.) + पूरी सव गुनमैं, दैक सुरग लोकमै जाहिं / व काय सुद्ध है दीजै, कीजै नहिं वांछा तिह ठाहिं 13 लते दान तनक जल, सरता जेम बड़े विसतार / सलिल वढे दिन दिनप्रति,सुजसफैन सिवदधिलग सार त पुरुप सरधासौं, दियौ दान सुभ पात्र विचार / कहत नहिं वस्तु लहत है, 'देय लेय' परगट व्यौहार 14 बारिगहको भार माहिं नहिं, थिरता परमातमको ग्यान / बिन तीनों अथे सधत है, साधं साध चार सुख दान / / चारों हाथ बीच हैं जाके, देय प्रीतिसौं पात्र दान / भवन दान वनमाहि तपस्या,"यह तो परगट वात जहान१५ सोरठा। सिव-पुर-पंथी साध, नाम रटै पातग हटै / दान अराध, तिरै जगत अचिरज कहा // 16 // सवैया तेईसा / (मत्तगयन्द) भौन कहा जहां साध न आवत, पावन सोभुव तीरथ होई। पाय प्रछालकै काय लगायकैं, देहकी सर्व विथा नहिं खोई // दान करयौ नहिं पेट भयौ वहु, साधकी आवन वार न जोई। मानुष जोनिकौं पायकै मूरख,कामकी वात करी नहिं कोई१७ देव कहा जहां भाव विकार, भजौ कि न देव विरागमई है। साधु कहा जिसकै नहिं ग्यान, गुरू वह जास समाधि भई है। धर्म कहा जिसमें करुना नहिं, धर्म दया अघरीति खई है। दानबिनालछमी किह कारन, 'हाथ दई तिन साथ लई है'१८ कवित्त / (31 मात्रा) गुन बहु भए ग्यान नहिं पायौ, बहुत भोग नहिं वृत्त लगार। धनकौं पायदान नहिं दीनौं, गुन धन भोगनिकौं धिक्कार // Scanned with CamScanner