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________________ (232) अग्रनीय दूजी अभिराम, तहां सुनै दर्ज दहे॥७२॥ लिजुग बल भाटी मार // 73 // चौसठ गन सौ आठ प्रका,जिनवानी अभिराम। डित गहे // 7 // नौं अग्यान / किरोर // 75 // अधिकार। पद सरदहे॥७॥ से तिनके कहे, लाख छानवै पद सरत वीरजवाद विसाल, निजवल परवल जुग खेत काल तप भाव अपार, सत्तर लाख कहो चौथा अस्तिनास्ति है नाम, तामें सप्तभंग अर दर्व अस्ति साधनिकों कहे, साठि लाख पद पंडित पंचम ग्यानप्रवाद विधान, पांच ग्यान तीनों अन्य संख्या विष रूप फल जोर, एक घाटि पद एक कि छठा सत्य परवाद विचार, द्वादस भाषाको अधिक दस विध सत्य वचन तहं कहे, एक कोर पट पद सरद दोहा। आतम प्रवाद सातमा, पूरव सवतें जोर। जीव भाव अधिकार वहु, पद छब्बीस किरोर // 7 // . चौपई। कर्मप्रवाद नाम आठमा, ग्यानावरनादिककी जमा। सत्ता बंध आदि वहु भाख, एक कोर पद अस्सीलाख नौमा पूरव प्रत्याख्यान, पापक्रियाको त्याग विधान / भेद संघनन पालन काज, पद चौरासी लाख समाज दसमा पूरव विद्या भाख, पद इक कोरि कहे दस लान लघु सात से पांच सै महा, विद्या अष्ट निमित सव कहा॥८॥ कल्यानवाद ग्यारमा पेख, पंच कल्यानक कथन विसेख। पोड़सकारन भावन जहां, पद छैवीस कोर हैं तहां // 8 // द्वादस पूरव प्रानावाद, इडा पिंगला सुपमना स्वाद। (233) तेरम पूरव क्रियाविसाल, कला बहत्तरि कही रसाल / चौसठ गुन नारीके कहे, सील भेद चौरासी लहे // 83 // गरभ आदि सौ आठ प्रकार, सम्यक भेद पचीस प्रकार। नौ किरोरपद जग व्योहार, जिनवानी सबतें सिरदार // 84 // विंद त्रिलोकसार चौदहां, लोक अलोक कथन है जहां / अकृत अनादि अनंत प्रकास, बारै कोरि लाख पंचास // 5 // दोहा। पूरव चौथे भेदका, कह्यौ सकल व्यौहार / नाम चूलिका अब कहूं, पंचम भेद विचार // 86 // चौपई। जल थल माया नभ अरु रूप, पंच भेद चूलिका अनूप / पद दस कोडि लाख उनचास, सहस छियालिस वरन्यौ तास सोरठा। दो किरोर नौ लाख, सहस नवासी दोय सै। एक एकके भाख, पांचौंके पद एकसे // 88 // चौपई। नाम जलगता को आरंभ, जलमैं मगन अगनको थंभ / अगनि माहिं परवेस निकार, मंत्र जंत्र अरु तंत्र विचार // 89 // नाम थलगता कहियै सोय, मेरु कुलाचलमै गम होय / सीघ्र गमन भुवमैं परवेस, मंत्रादिक किरिया उपदेस // 9 // मायागता नाम है तास, इंद्रजाल विक्रिया प्रकास / मंत्र जंत्र तप भेद वखान, जिनवानी सवतै परधान // 9 // नाम अकासगता है तहां, व्योम गमन वहविध है जहां / जप तप क्रिया अनेक प्रकार,उपजै चारनरिद्धि निहार॥९२॥ अंग उपंग प्रान दस भेद, तेरह कोड़ तास पद वेद // 2 // Scanned with CamScanner
SR No.035338
Book TitleDhamvilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDyantrai Kavi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages143
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size61 MB
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