________________ With this expansive shoulders, he could mesmerize the mightly kings who were witness to his wrestling againt the emperor Bharat. He is remembered along with most powerful and divine Bharat even today. His name spells purity to all beings. May the sacret name of Bhujabali be victorious! जयति भुजबलीशो बाहुवीर्य स यस्य, 4- जिनकी भुजाओं का बल क्षत्रियों के समक्ष मल्ल युद्ध में प्रसिद्ध प्रथितमभवदग्रे क्षत्रियाणां नियुद्धे। हुआ था और जिनका नाम सकल चक्रवर्ती भरत के नाम के साथ लोगों के भरतनृपतिनाऽमा यस्य नामाक्षराणि, स्मृति पटल पर आ जाता था। तथा जो प्राणी समूह को पवित्र करते है वे स्मृतिपथमुपयान्ति प्राणिवृन्दं पुनन्ति / / 4 / / बाहुबली स्वामी जयवंत हो। The downpour of poison of the serpent became harmless on His feet. The overgrowing creepers were covering His face but the sporting women of Vidyadhar clan were clearing them regularly. He is worshipped by all. May Dorbali Lord protect us! जयति भुजगवक्त्रोद् वान्तनिर्यद्गराग्निः 5- सर्प के मुख से उगले तथा निकलती हुए विष रूपी अग्नि जिनके प्रशममसकृदापत् प्राप्य पादौ यदीयौ। चरणों को प्राप्त कर अनेक बार उपशांति को प्राप्त हुई थी और जो सम्पूर्ण जगत सकलभुवनमान्य:खेचरस्त्रीकराग्रोद / में पूज्य है। विधाधरों की स्त्रियों के हाथ से हटाई गई फैली हुई लताओं से जो ग्रथितविततवीरुद्वेष्टितो दोर्बलीशः / / 5 / / व्याप्त है। वे बाहुबली जयवंत हो। OTHER QUOTES ON BAHUBALI The moment he discarded the wheel-gem from his चक्रं विहाय निज दक्षिण बाहसंस्थं जिस क्षण बाहुबली ने अपनी दाहिने भुजा के ऊपर स्थित right hand. Bahubali should have attained यत्प्राव्रजन्नन तथैव स तेन मञ्चेत / चक्ररत्न को त्याग दिया तपस्या के माध्यम से उन्हें सर्वज्ञता omniscience through penance. But his ego held him back for a prolonged period. True, even a tiny ego क्लेशं तमाप किल बाहुबली चिराय उसी समय प्राप्त होनी चाहिए थी। लेकिन उन्होने चिरकाल can harma lot! (Atmanushasanam 217) मानो मनागपि हंति महंति करोति || तक क्लेश को अपनाये रक्खा। इससे प्रतीत होता है कि एक (आत्मानुशासनम् 217) छोटासा अहंकार भी बहुत भारी नुकसान कर सकता है | Valiant Sage! Even after renouncing his body and देहादिचत्तसंगो मानकसायेन कसिओ धीर | धीर मनिवर। देहादि सबकछ त्यागने के बावजद बाहबली जी such attachments, how long did Sage Bahubali अत्तावणेण जादो बाहुबली कित्तियं कालं || अपने मान कषाय से कलुषित होकर कितने काल तक stand in penance having afflicted with ego? (Bhav hav (भाव पाहुड 44) (STA M E 441 आतापन-योग में स्थित रहे थे ? Pahud 44) [35]